-रिवाइज रिटर्न की समस्या से नुकसान होने का सता रहा डर

क्कन्ञ्जहृन्: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के आने से यह अपेक्षा थी कि ऑनलाइन प्रक्रिया होने से सब कुछ सरल हो जाएगा। लेकिन साल बीतने के बाद भी जीएसटी फाइलिंग और रिफंड की समस्या बरकरार है। बिहार के करीब 5 लाख लोग जीएसटी की व्यवस्था से परेशान हैं। इनपुट टैक्स क्रेडिट का मैचिंग, इनपुट क्रेडिट के मिलान के लिए प्रपोज्ड जीएसटीआर-टू नहीं आने और रिवाइज रिटर्न की व्यवस्था नहीं होने समेत तमाम प्रकार की समस्याएं लोगों के सामने बनी हुई है। ये समस्याएं विभिन्न व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के समक्ष उठ रहे हैं।

ऑनलाइन व्यवस्था में भी दोष

जीएसटी फाइलिंग की व्यवस्था से ई-फाइलिंग से सभी समस्याओं का समाधान निकलने की अपेक्षा थी। लेकिन हकीकत इससे अलग है। व्यापारियों में इसे लेकर निराशा का माहौल है। सरकार की ओर से इनपुट टैक्स क्रेडिट के मैचिंग का अब तक कोई मैकेनिज्म या दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है। जीएसटीआर टू ए के आधार पर आइसीटी के मिलान की बात कही जा रही है। जो कि गलत है। इस तरह से लोगों को अब भी परेशानी हो रही है।

टैक्स क्रेडिट का दावा मुश्किल

इनपुट टैक्स क्रेडिट के मिलान के लिए प्रस्तावित जीएसटीआर -2 के नहीं आने से लोग अपने पास मौजूद इनवॉयस के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की सत्यता का दावा नहीं कर पा रहे हैं। सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए टैक्स कलेक्शन के लिए जीएसटीआर थ्री बी के नाम से एक रिटर्न फार्म जारी किया है। हालांकि शुरुआती दौर में कुछ गलतियां हो रही है लेकिन रिवाइज रिटर्न की व्यवस्था नहीं हो रही है।

टैक्स देने के बाद भी हैं बकाएदार

रीवाइज रिटर्न की व्यवस्था नहीं होने से लोग टैक्स का भुगतान करने के बाद भी सरकार की नजर में लाइबिलिटी सेट ऑफ नहीं कर पाने की स्थिति में डिफाल्टर ही माने जाएंगे। सिर्फ यही नहीं, उन्हें ब्याज के रूप में नुकसान उठाना पड़ सकता है। व्यापारियों का कहना है कि यदि इस स्थिति में जल्द ही जीएसटीआर थ्री बी को रीवाइज करने का प्रावधान लाना चाहिए। ऐसा हो तो जीएसटी के मैचिंग कांसेप्ट पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।

रिफंड के 90 प्रतिशत केसेज पेंडिंग

यदि जीएसटी रिफंड की बात करें तो इसमें भी समस्या बनी हुई है। एक्सपोर्ट के कारोबारियों को छोड़ किसी को भी रिफंड की राहत नहीं मिली है। सूत्र बताते हैं कि यदि इसे रिफंड मिलने और नहीं मिलने की बात करें तो करीब 90 प्रतिशत मामले रिफंड के पेंडिंग हैं। इसके लिए आवेदन तो लगातार मिल रहे हैं, लेकिन ये सभी आवेदन पेंडिंग हैं। इसके कारण व्यापारियों का वर्किंग कैपिटल का बोझ बढ़ गया है।

जीएसटी में ये हैं मुख्य समस्याएं

-इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान नहीं हो रहा।

-जीएसटीआर -2 नहीं आने से इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर पा रहे लोग।

-रीवाइज रीटर्न नहीं होने से लोग टैक्स देने के बाद भी समझे जा रहे बकाएदार।

-जीएसटीआर- टू ए के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान करने की हो रही गलती।

-रिफंड के लिए डाक्यूमेंट की हार्ट कॉपी देने की बात से लोग परेशान।

यह चिंता की बात है कि रिवाइज रिटर्न की व्यवस्था नहीं होने से लोग टैक्स का भुगतान करने के बाद भी डिफाल्टर समझे जाएंगे।

-राजेश खेतान,सीए