PATNA: हीरायामा ऐसी बीमारी है जो लाखों में एक को होती है। अगर हो गई तो जान बचाना मुश्किल होता है क्योंकि इसकी डायग्नोस भी मुश्किल होती है। यही कारण है कि इस खतरनाक बीमारी का नाम भी जापानी साइंटिस्ट के नाम पर रखा गया है। प्रदेश के औरंगाबाद का स्टूडेंट नवनीत कुमार को इस बीमारी ने वर्ष 2016 में जकड़ लिया और जान पर बन आई। हाथ-पैर पतला होने लगा और नस कमजोर होने से उठना-बैठना मुश्किल हो गया। कई बड़े हॉस्पिटल के बाद जब इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पहुंचा तो जिंदगी की उम्मीद जगी और अब वह स्वस्थ्य है। नवनीत के पिता दिलीप कुमार का कहना है कि बेटा काफी एक्टिव था और पढ़ाई में भी तेज था। अचानक गर्दन में परेशानी हुई और नस कमजोर होने लगी। नस कमजोर होने के कारण हाथ की उंगलियां उल्टे दिशा में टेढ़ी होने लगी और नवनीत का बैलेंस पूरी तरह से गड़बड़ होने लगा था।

बीमारी के साथ पढ़ाई भी हुई ठीक

नवनीत के पिता का कहना है कि आईजीआईएमएस में फिजियोथेरेपी डिपार्टमेंट की देख-रेख में थेरेपी चल रही है जिसमें काफी सुधार आया है। पहले हाथ से वजन तक नहीं उठता था अब एक किलो से अधिक का भार उठा लेता है। सीनियर डॉ रत्‍‌नेश चौधरी का कहना है कि नवनीत खतरनाक बीमारी से बाहर आया है। उसकी पढ़ाई ठीक हो गई है और थोड़े ही दिन बाद पूरी तरह से स्वस्थ्य हो जाएगा। यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि यह बीमारी डाक्टरों के लिए चुनौती थी।