- एक सर्जन समेत चार लोगों में सफेद फंगस संक्रमण की पुष्टि हुई

- फेफड़े के निचले हिस्से को ज्यादा करता है संक्रमित, राजधानी में सफेद फंगस के चार मामले आए सामने

- एंटीजन, आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव और एचआरसीटी में संक्रमण दिखने पर कराएं फंगस की जांच

- एंटीजन व आरटी-पीसीआर जांच निगेटिव होने पर स्टेरॉयड देने के पहले फंगल टेस्ट न कराने पर जान को खतरा

PATNA: कोरोना महामारी से कमजोर हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण प्रदेश में फंगल इंफेक्शन का शिकंजा कसने लगा है। एक ओर अस्पतालों में ब्लैक फंगस (म्यूकोर माइकोसिस) के सौ से अधिक लोग भर्ती हैं तो दूसरी ओर सफेद फंगस (कैंडिडोसिस) ने भी दस्तक दे दी है। राजधानी के एक सर्जन समेत चार लोगों में सफेद फंगस संक्रमण की पुष्टि हुई है। फेफड़े में संक्रमण व कोरोना जैसे लक्षण होने के कारण इलाज में हल्की चूक से इसमें जान जाने की आशंका ज्यादा होती है।

पीएमसीएच के डॉक्टर की सतर्कता से सामने आया मामला

पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ। सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया कि एक सर्जन समेत उनके चार परिचितों में कोरोना जैसे लक्षण थे। बावजूद इसके एंटीजन रैपिड, एंटीबॉडी रैपिड व आरटी-पीसीआर जांच निगेटिव आ रही थी। एचआरसीटी में फेफड़ों में संक्रमण दिख रहा था और ऑक्सीजन स्तर भी कम था। व्हाइट फंगस के भी ऐसे लक्षण होने कारण उनके बलगम की माइक्रोस्कोपिक व कल्चर जांच की गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद एंटीफंगल दवाएं देने पर चारों का ऑक्सीजन सामान्य स्तर पर आ गया।

दवा से हो सकता ठीक

एम्स की ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ। क्रांति भावना ने बताया कि वातावरण, मिट्टी व आसपास कई तरह के फंगस होते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होते ही ये संक्रमित करते हैं। ऐसे कुछ रोगी सालोंभर आते रहते हैं। यदि बहुत कमजोर इम्यून पावर वाले रोगियों को छोड़ दें तो व्हाइट फंगस सामान्यत: दवाओं से ठीक हो जाता है।

व्हाइट फंगस होने पर स्टेरॉयड देना जानलेवा

आईजीआईएमएस में क्षेत्रीय चक्षु केंद्र के विभागाध्यक्ष डॉ। विभूति प्रसन्न सिन्हा के अनुसार ब्लैक फंगस गले के ऊपर के भागों को ज्यादा संक्रमित करता है वहीं, व्हाइट फंगस फेफड़े के निचले हिस्से, त्वचा, नाखून, मुंह, किडनी व जननांगों को संक्रमित करता है। इसका सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसके लक्षण कोरोना जैसे होते हैं लेकिन यदि इसके रोगियों को स्टेरॉयड दे दिया जाए तो उनकी मौत तक हो सकती है। ऐसे में डॉक्टरों को चाहिए कि यदि एंटीजन व आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव है और ऑक्सीजन स्तर में गिरावट रोकने के लिए स्टेरॉयड देना है तो पहले फंगल टेस्ट जरूर करा लें। एचआरसीटी में फेफड़े में कोरोना जैसे पैच देखकर स्टेरॉयड देना घातक हो सकता है क्योंकि व्हाइट फंगस भी फेफड़े के निचले हिस्से को ही संक्रमित करता है।

: इन्हें ज्यादा खतरा :

मधुमेह, कैंसर रोगी, लंबे समय तक स्टेरॉयड चलने से इम्यून पावर कमजोर हुई हो और कोरोना जैसे लक्षण पर रिपोर्ट निगेटिव हो।

ऑक्सीजन देने के क्रम में ज्यादा खतरा

कोरोना काल में लोग घरों में भी ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये लोग डिस्टिल्ड की जगह नल का पानी ह्यूमिडिफायर में डाल देते हैं। इससे उसमें फंगस पनप जाता है और फंगल इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा कम इम्यून पावर वाले लोग हर समय मास्क पहन कर रखें और धूल-मिट्टी व नम जगह से दूर रहें।