PATNA : जीएसटी के आने के पहले और बाद में भी रेडीमेड कपड़ों के रेट में विशेष अंतर नहीं है। लेकिन इसके बाद भी बिलिंग इस तरीके से हो रही है कि लोगों के मन में यह सवाल रह जाता है रेडीमेड कपड़ों के व्यापारी सही बिल नहीं दे रहे हैं। कभी तो जीएसटी कितना कटा यह बिल में दिखता है और कभी तो बिल में कुछ पता ही नहीं चलता है। सवाल यह भी है कि रेडीमेड कपड़ों में कई प्रकार के कपड़े शामिल हैं, क्या इन सभी में जीएसटी रेट अलग-अलग है या कोई बड़ा अंतर है। दरअसल यह इतना जटिल नहीं है जैसा कि बताया जा रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसकी पहलूओं की जानकारी ली।

रेडीमेड पर कितना है टैक्स

जीएसटी आने के बाद से रेडीमेड के वैसे कोई भी कपड़े जिनकी कीमत 1000 रुपये से कम हैं पर कम से कम पांच प्रतिशत और जो एक हजार रुपये से अधिक के कपड़े हैं उस पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इसमें कीमत के आधार पर टैक्स लगाया गया है न कि कपड़ों के प्रकार जैसे सूती, रेशमी या सिंथेटिक

आदि। खेतान मार्केट में रिटेलर अंकित अग्रवाल ने बताया कि अभी हजार रुपये से कम वाले सभी आइटम पर मात्र 5 फीसदी जीएसटी लग रहा है।

टैक्स है तो छूट कैसे

रिटेलर और मॉल्स दोनों में ही कपड़े मिल रहे हैं जबकि दोनों ही एक ही रेट का जीएसटी दे रहे हैं। लेकिन मॉल्स में रेडीमेड कपड़ों पर 30 से 50 प्रतिशत तक छूट मिल रही है जबकि रिटेलर ऐसी छूट नहीं दे रहे हैं। निफ्ट पटना के फैशन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर विकास कुमार ने कहा कि दोनों के बिजनेस मॉड्यूल अलग-अलग हैं। मॉल्स में बिजनेस चैनल छोटा होता है। फैक्ट्री से सीधे मॉल्स में माल पहुंचता है और मार्जिन अधिक होता है। इसके अलावा मॉल्स में जब माल का स्टॉक कुछ बचा रह जाता है तो बचे स्टॉक को क्लीयर करने के लिए छूट दी जाती है।