PATNA/HAZIPUR : गंगा में पानी बढ़ने से सोमवार को रुस्तमपुर-कच्ची दरगाह पीपापुल खुलते ही राघोपुर प्रखंड के ढाई लाख लोग जान जोखिम में डालकर गंगा पार करने पर मजबूर हो गए हैं। स्थिति यह है कि सोमवार को नावों पर क्षमता से अधिक सवारियां बैठाई गई। कुछ लोग जान जोखिम में डालकर पीपा पुल से पैदल पार करते रहे लेकिन प्रशासन कहीं भी पीपा पुल के आसपास नहीं दिखा। पीपा पुल खुल जाने के कारण राघोपुर के लोगों को अब छह महीने नाव से ही आना-जाना होगा। राघोपुर प्रखंड के रुस्तमपुर घाट से लगभग 30 हजार लोग एवं लगभग 500 छोटी-बड़ी गाडि़यां प्रतिदिन पीपा पुल से आती जाती थीं। रविवार की रात करीब नौ बजे से ही पीपा पुल पर आवागमन रोक दिया गया।

अब नाव ही एकमात्र सहारा

पीपा पुल खुल जाने के कारण राघोपुर के लोगों को अब छह महीने नाव से ही आना-जाना होगा। राघोपुर से पटना या कहीं दूसरी जगह जाने के लिए दियारा वासियों को छह महीने तक एकमात्र विकल्प नाव ही है। पीपा पुल का पटना साइड में सोमवार की सुबह लोहे की चादरों को हटा देने के बाद भी कुछ लोग जान जोखिम में डालकर पीपा पुल से पार कर रहे थे। राघोपुर से प्रतिदिन दैनिक मजदूरी करने वाले, दूध और सजी व्यवसाई, छात्र-छात्राओं की परेशानी बढ़ गई। दूध विक्रेता रामपुर निवासी विनय कुमार ने बताया कि पुल खुलने के बाद नाव से पटना जाने मे बहुत परेशानी हो रही है।

हजारों लोग पार करते हैं गंगा

राघोपुर प्रखंड के रुस्तमपुर घाट से लगभग 30 हजार लोग एवं लगभग 500 छोटी-बड़ी गाडि़यां प्रतिदिन पीपा पुल से आती जाती थीं। अब नाव पर जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

नावों पर हो रही ओवरलो¨डग

रुस्तमपुर घाट से कच्ची दरगाह के लिए सभी नावें ओवरलोडेड खुलीं। रुस्तमपुर घाट, सैदाबाद घाट पर नाविकों द्वारा छोटी नावों पर सौ और बड़ी नावों पर डेढ़ से दो सौ सवारियों को बैठाया जा रहा था। छोटी नावों पर 25 से 30 बाइक एवं बड़ी नावों पर 70 से 80 बाइकों को ढोया जा रहा था।