पटना ब्‍यूरो। सनातन धर्म में एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती है । जिसमें चैत्र कृष्ण एकादशी यानी पापमोचनी एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। इस एकादशी को बहुत ही शुभ माना जाता है।
हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 5 अप्रैल शुक्रवार को श्रद्धालु पापमोचनी एकादशी का व्रत करेंगे । इस एकादशी को गृहस्थजन एवं वैष्णवजन एक साथ करेंगे । इस एकादशी को करने से श्रद्धालु को एक हजार गाय दान करने से समान पूण्य मिलता है तथा उसके ऊपर श्रीहरि विष्णु की अपार कृपा बरसती है । साथ ही उनके घर परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। वहीं जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से छुटकारा भी मिलता है।

तीन शुभ योग में 5 को पापमोचनी एकादशी

ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने बताया कि पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल शुक्रवार को धनिष्ठा नक्षत्र के साथ तीन शुभ योग में मनायी जाएगी । इसमें साध्य योग, शुभ योग एवं सिद्धयोग शामिल हैं । ऐसे उत्तम संयोग में एकादशी का व्रत करना कल्याणकारी होगा । पाप मोचनी एकादशी श्रद्धालु के समस्त पाप का क्षय एवं मनोकामना पूर्ण करने वाला व्रत है ।

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल गुरुवार की दोपहर 11:36 बजे शुरू होगा और 5 अप्रैल शुक्रवार की सुबह 09:26 बजे तक रहेगा । एकादशी तिथि में सूर्य उदय होने से उदया तिथि के अनुसार पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को किया जाएगा ।

पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी के दिन पवित्र जल या गंगा नदी में स्नान कर श्रीहरि विष्णु की विधिवत पूजा में गंगाजल व पंचामृत से स्नान कराकर वस्त्र, उपवस्त्र, यज्ञोपवीत, चन्दन, पुष्प, इत्र, तिल, तुलसी से श्रृंगार कर धूप-दीप, ऋतुफल, मिष्ठान का भोग फिर पान-सुपारी अर्पित कर कर्पूर से आरती होगी । कई श्रद्धालुओं के घरों में इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा के बाद स्कंद पुराण के रेवा खण्ड के सप्तध्यायी पौराणिक कथाओं का श्रवण किया जाएगा । शंख, करताल, झाल, घण्टी बजाकर भगवान की विधि-विधान से आरती उतारी जाएगी । वही इस व्रत का पारण 6 अप्रैल शनिवार को स्नान, पूजा के बाद अन्न, वस्त्र, फल, घी, स्वर्ण आदि के दान के बाद गाय के घी से पारण होगा ।


इस मंत्र का जाप करने से मिलता है लाभ

एकादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: । ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् । ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम: का जाप तथा विष्णु सहस्रनाम, पुरुष सू1त, श्री सू1त, रामचरितमानस, श्रीमद्भागवत का पाठ करने से श्रद्धालुओं को शुभ फल का प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत से कोटि गौदान का पुण्य

ज्योतिषी झा के अनुसार एकादशी के दिन पीताम्बरधारी भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से निरोग्यता, ऐश्वर्य, सांसारिक सुख व परमलोक की प्राप्ति होती है ढ्ढ इस दिन गोदान, वस्त्रदान, छत्र, जूता, फल, सत्तू, सुपारी, जनेऊ, जलघट, पंखा आदि का दान करना बहुत ही पुण्यदायक होता है । इसके अलावे इन सामग्रियों के दान करने से स्वर्ण दान का फल मिलता है ढ्ढ इस व्रत व दान आदि से श्रद्धालुओं को करोड़ों गौ दान के समान फल प्राप्त होता है।

बताई एकादशी की महिमा

एकादशी तिथि के महत्व को बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है-''मैं वृक्षों में पीपल एवं तिथियों में एकादशी हूँ''। एकादशी की महिमा के विषय में शास्त्र सम्मत है कि विवेक के समान कोई बंधु नहीं और एकादशी के समान कोई व्रत नहीं। पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्म इन्द्रियाँ और एक मन इन ग्यारहों को जो साध ले,वह प्राणी एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है।