पटना (ब्यूरो)। यदि मन में कुछ कर गुजरने की चाहत और जज्बा हो तो कोई भी अशक्तता बाधा नहीं बन पाती है। इस कहावत को सच कर दिखाया है, सारण की बेटी अंकिता कुमारी ने। अपने हौसले और जज्बे के कारण सारण ही नहीं, पूरे राज्य के लिए वह मिसाल पेश कर रही हैं। लोक महाविद्यालय, बनियापुर हाफिजपुर की इतिहास (प्रतिष्ठा) विषय की छात्रा अंकिता कुमारी को पढ़ाई का ऐसा जुनून है कि जन्म से हाथ नहीं होने के बावजूद उसने अब तक की पढ़ाई और परीक्षा पैरों से लिखकर पूरी की है। वह ठीक से बोल भी नहीं पाती है।

हाथ की जगह सिर्फ एक अंगुली

अशोक गुप्ता की पुत्री अंकिता कुमारी का एक छोटा अविकसित हाथ है, जिसमें पंजे की बजाय एक नाममात्र की अंगुली है। वह अभी छपरा के रामजयपाल कालेज पर स्नातक (द्वितीय खंड) की परीक्षा में दाएं पैर से कापी में उत्तर लिख रही है। अंकिता ने बताया कि उसने अपनी इस अशक्तता को ईश्वर की मर्जी और एक चुनौती समझ कर स्वीकारा। अपनी पढ़ाई की शुरुआत में पैर से लिखने का अभ्यास किया। काफी कठिनाई के बाद मेहनत रंग लाई।

कौतूहल भरी नजर से देखते हैैं लोग

स्कूल में पैर से लिखते देख स्कूल के बच्चे और गांव के लोग मुझे कौतूहल भरी नजरों से देखते थे, लेकिन मेरा हौसला भी बढ़ाते थे। अंकिता को बोलने में काफी दिक्कत होती है। दिव्यांगता के बावजूद वह लक्ष्य को पाने के लिए प्रयासरत है। रामजयपाल कालेज के प्राचार्य सह केंद्राधीक्षक डा। इरफान अली ने कहा कि अंकिता से उन छात्राओं को प्रेरणा लेनी चाहिए, जो लड़की होने के कारण उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाती हैं। ऐसे छात्राओं के अभिभावकों के लिए भी यह एक सबक है।