--- पर्यावरण दिवस विशेष ---

- अभी तक केवल गर्दनीबाग के प्रोजेक्ट में ही पेड़ सक्सेफुली ट्रांसलोकेट

- बडे़-बडे़ प्रोजेक्ट में हरे पेड़ काटने नहीं, ट्रांसलोकेट करने का है नियम

PATNA :

आज विश्व पर्यावरण दिवस है। यूनाइटेड नेशंस की ओर से वर्ष 1974 से यह डे मनाया जा रहा है। मकसद है पर्यावरण को सहेज कर रखने की सीख और इसके मूल स्वरूप को बनाए रखने में निरंतरता बनाए रखना। आज जब गांव से ज्यादा शहर हो रहे हैं और उसमें भी स्मार्ट शहर, जैसे पटना तो एनवायरमेंट की चिंता और प्रखर रूप से जाहिर हो रही है। यहां स्मार्ट सिटी समेत तमाम प्रोजेक्ट चल रहे हैं और यहां यह नियम वर्ष

ये पेड़ कभी नहीं हुए हरे

पटना के सबसे प्रमुख सड़क बेली रोड का चौड़ीकरण आज से चार साल पहले किया गया था। इसके चौड़ीकरण के दौरान 89 पेड़ों की बलि दी गई। लेकिन बात करें इसके स्थान पर नए पेड़ की लगाने की तो इसमें कोई नया पेड़ नहीं लगाया गया। जबकि इसके लिए तरूमित्र संस्था की ओर से कई बार प्रयास किया गया। कुछ बचे हुए पेड़ के पास विश्व गोरैया दिवस पर कार्यक्रम आदि आयोजित कर इसे संरक्षित रखने का प्रयास किया गया। लेकिन बाद में नगर निगम का वहां बोर्ड लगा दिया गया।

केवल मीटिंग, उपाय कुछ नहीं

पेड़ों का ट्रांसलोकेशन को लेकर सरकारी उदासीनता ही आडे़ आ रही है। पटना में बड़ी संख्या में पेड़ों का ट्रांसलोकशन का सफलतापूर्वक करने के लिए बडे़ अर्थ मूवर की जरूरत होती है। लेकिन इसकी खरीदारी निगम ने नहीं की। हां, तत्कालीन निगम कमिश्नर अनुपम सुमन ने इसके लिए मीटिंग में चर्चा भी की थी। ऐसा लग रहा था कि अर्थ मूवर पटना में आएगा और इससे पेड़ों के ट्रांसलोकेट करने की सुविधा होगी। लेकिन यह उपाय सिरे चढ़ा ही नहीं।

सूखे पेड़ मिले अटल पथ और आर ब्लॉक पर

आर ब्लॉक के पास नई सड़क के डिवाइडर पर कई पेड़ सूख गए है। इसी प्रकार, अटल पथ पर भी कुछ पेड़ जो ट्रांसलोकेट हुए थे, वे हरे नहीं हैं। वन विभाग का कहना कि इन्हें ट्रांसलोकेट किया गया था। लेकिन इसकी रिपोर्ट अभी नहीं है कि इसका सक्सेस रेट कितना है।

हाईवे पर एक भी पेड़ नहीं

पटना-बख्तियारपुर के नेशनल हाई को तैयार हुए तीन साल से ज्यादा समय हो चुका है। लेकिन यहां पर छाया के लिए एक पेड़ भी नहीं है। जबकि पर्यावरणविद् बार-बार इसके लिए गुहार लगा रहे हैं कि यहां गर्मी के दिनों में सफर करना कठिन हो जाता है।

केवल एक प्रोजेक्ट का हिसाब

पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने के बारे में वन विभाग के पास केवल एक प्रोजेक्ट का ही पूरा ब्योरा है। बाकी के बारे में वन विभाग को भी पूरी जानकारी नहीं है। पटना की डीएफओ रूचि सिंह ने बताया कि गर्दनीबाग में ऑफिसर्स फ्लैट बनाया गया है। यह भवन निर्माण विभाग का प्रोजेक्ट है। इसमें कुल 500 पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया गया। इसका सक्सेस रेट 92 प्रतिशत है। अन्य जगहों के भी प्रोजेक्ट हैं लेकिन उसकी पूरी जानकारी अभी तक प्राप्त नहीं है।

इस प्रकार होता है ट्रांसलोकेशन

जहां भी कोई निमार्ण कार्य का प्रोजेक्ट चल रहा है वहां हरे पेड़ को काटने पर प्रतिबंध है। इसके लिए ट्रांसलोकेट करने का नियम है। यह नियम जुलाई, 2019 से ही प्रभावी है। इसके लिए संबंधित निमार्ण कार्य करने वाला विभाग या एजेंसी को वन विभाग को यह जानकारी देनी होती है कि इससे कितने हरे भरे पेड़ पर असर होगा। इसके बाद वन विभाग की टीम उसका निरीक्षण करती है और ट्रांसलोकेशन के लिए अनुमति देती है। ट्रंासलोकेशन का पूरा काम संबंधित एजेंसी को करना होता है।

वन विभाग अपने स्तर पर पेड़ों का ट्रांसलोकेशन नहीं करता। संबंधित प्रोजेक्ट से जुडे़ विभाग या एजेंसी को इस काम को करना होता है। इसमें उनके ही संसाधन लगते हैं। ट्रांसलोकेशन का नियम 2019 से ही लागू है।

- रूचि सिंह, डीएफओ पटना

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