पटना (ब्यूरो)। पटना भूकंप की दृष्टि से एक संवेदनशील क्षेत्र है। भूकंप यहां यदि आया तो बड़ी क्षति हो सकती है। इसका बड़ा कारण है बिल्डिंग की सघनता। यदि भूकंप आ जाए तो उसके लिए निकास की जगह और सुरक्षात्मक उपाय करने में बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ये बातें बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (बीएसडीएमए) के एडवाइजर (तकनीकी) डॉ। बीके सहाय ने कही। उन्होंने बताया कि भूकंप से बचाव के लिए बहुत से महत्वपूर्ण कार्य करने की जरूरत है, तभी इससे संपूर्ण बचाव संभव है। ये बातें वे भूकंप सुरक्षा जागरुकता सप्ताह को लेकर न्यू गर्वनमेंट पॉलीटेक्निक पटना में आयोजित कार्यक्रम को एड्रेस करते हुए कही।

जागरुकता से ही बचाव
सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि डॉ बी के सहाय, सीनियर एडवाइजर ,बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कुंदन कुमार कौशल, वाइस चेयरमैन, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, ई। आलोक रंजन, सीनियर रिसर्च पदाधिकारी, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा मुख्य वक्ता के रूप में डॉ शिव शंकर कुमार, असिस्टेंट प्रो, सिविल इंजीनियरिंग, एन आई टी पटना उपस्थित रहे। एनजीपी पटना के प्रिंसिपल डॉ चंद्रशेखर सिंह ने सभी गेस्ट का वेलकम किया और उन्हें मोमेंटो और शॉल भेंट किया। प्राचार्य डॉ चंद्रशेखर सिंह ने वेलकम एड्रेस में कहा कि भूकंप सुरक्षा को लेकर जागरुकता अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भूकंप की घटना के अलावा कमजोर संरचना वाली भवनों से भी जान-माल की हानि होती है।


पटना की चार चुनौतियां
भूकंप के लिए पटना आखिर संवेदनशील क्यों है? बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की आरे से मिली जानकारी के अनुसार, पटना भूकंप के लिए संवेदनशील जोन में आता है। यहां पर पूर्व में भी भूकंप की कई घटनाएं हो चुकी हैैं और समय -समय पर भूकंप की घटनाएं होती रही है। यहां बिल्डिंग की सघनता के अलावा तीन और समस्याएं हैं। इनमें बिल्डिंग कोड के अनुपालन की कमी, इनफोर्समेंट की कमी और जागरुकता के स्तर पर भी पर्याप्त जानकारी नहीं होना है। बचाव जरूरी है। यह तभी संभव है जब लोग इसकी पहले से जानकारी रखें और भूकंप के दौरान जो भी सावधानी बरतनी है, उसका पूरा पालन करें।

बेहतर निर्माण जरूरी
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ शिव शंकर कुमार ने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन को लेकर किये जाने वाले जरूरी उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने अपने प्रजेंटेशन में मिट्टी की संरचना, मजबूत बिल्डिंग के लिए निर्माण सामग्री और उसे लगाने के लिए जरूरी उपायों के बारे में भी जानकारी दी। अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से बिल्डिंग की संरचना में सुधार आदि के बारे में उन्होंने जानकारी दी।

कमजोर मकान भी खतरनाक

सेमिनार के दौरान एक्सपर्ट ने बताया कि केवल भूकंप ही नहीं, कमजोर मकान से भी क्षति पहुंचती है। बीएसडीएमए के सीनियर रिसर्च ऑफिसर आलोक रंजन ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से भूकंप रोधी भवन का निर्माण जरूरी है। भवन निर्माण के लिए बालू एवं गिट्टी को पॉलिथीन शीट से ढंककर रखे। ईंट को जोडऩे से पहले चार से छह घंटे तक साफ पानी में डूबाकर रखें। दीवारों के जोड़ पर, बैंड में छड़ को सही तरीका से बांधे। दो ईंट के बीच में 10 से 12 एमएम का गैप रखें। गैप में पूरा- पूरा मसाला भरें। इसके अलावा दो और बातों पर ध्यान दें। एक, स्टील छड़ों को कंक्रीट के अंदर छुपाने के लिए, छड़ों के नीचे कभर ब्लॉक लगाये। दूसरा, कंक्रीट में पानी की उचित मात्रा को गोला बनाकर जांच कर लेना चाहिए।

विजेताओं को मिला सम्मान

कार्यक्रम के अंतर्गत सप्ताह भर से चल रहे विभिन्न प्रतियोगिताओं, क्विज़ प्रतियोगिता, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता इत्यादि का आयोजन किया गया। इसमें विजेता छात्र छात्राओं को मेडल एवं प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ रंजीता तिवारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सिविल इंजीनियरिग शाखा के विभागाध्यक्ष प्रो सैयद आफताब अहमद ने किया। कार्यक्रम के संयोजक सिविल इंजीनियरिग शाखा के प्रो रोहित कुमार थे। सेमिनार में संस्थान के सभी लेक्चरर, छात्र -छात्राएं उपस्थित थे।


बिहार और आस-पास आए भूकंप
भूकंप तारीख तीव्रता रिक्टर स्केल पर मरने वाले की संख्या
1833 बिहार 26 अगस्त 7.5 500
1934 बिहार -नेपाल 15 जनवरी 8.0 10600
1988 बिहार-नेपाल 20 अगस्त 6.9 1500
2015 नेपाल 25 अप्रैल 7.8 9000
2015 नेपाल 12 मई 7.3 100