-अभी कोई गुट 38 के जादुई आंकड़ा के करीब नहीं, चल रहा मिलने और मीटिंग का दौर

-मजहबी, मधु, सुचित्रा, पिंकी, भारती और कांति रेस में हैं शामिल

-पूर्व मेयर, डिप्टी मेयर, काउंसलर समेत विनय कुमार पप्पू आदि लॉबिंग में

PATNA : पटना नगर निगम के काउंसलर के चुनाव के बाद अब लोगों की नजर मेयर और डिप्टी मेयर की ओर लगी है। चुनाव क्9 जून को होना है। करीब आधा दर्जन मेयर पद के प्रत्याशी लगातार लॉबी शुरू कर दिए हैं। हालांकि पुराने काउंसलर कम और नए अधिक हैं। ऐसे में पद की दौड़ में शामिल कुछ के द्वारा हॉर्स ट्रेडिंग का खेल भी शुरू होने की चर्चा है। इसमें नए के फंसने की संभावना भी बनी है। लोग जाति से लेकर पार्टी तक का यूज जीत के लिए कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन से लेकर चुनाव आयोग भी अपनी नजर टिकाए हुए हैं।

आधा दर्जन काउंसलर हैं दौड़ में शामिल

मेयर पद की दौड़ में पूर्व मेयर अफजल इमाम की पत्‍‌नी मजहबी, पूर्व काउंसलर दीपक चौरसिया की वाइफ मधु चौरसिया, सुचित्रा सिंह, पिंकी यादव, भारती देवी और कांति देवी शामिल हैं। मजहबी को अपने पति का पूर्व में मेयर रहने का अनुभव, पहचान और जेडीयू से जुड़ा होना है। मधु चौरसिया के साथ उनका फेमिली बैकग्राउंड है। उनके पति पूर्व काउंसलर और जेठ संजीव चौरसिया एमएलए हैं और बीजेपी में कद्दावर पहचान हैं। सुचित्रा सिंह के पति निलेश प्रसाद पूर्व मुखिया रहे और आरजेडी से जुड़ा होने और लालू के करीबी होने का श्रेय है। भारती देवी जल पर्षद के पूर्व अध्यक्ष स्व अशोक कुमार यादव की पत्‍‌नी हैं। वह असेंबली इलेक्शन भी लड़ीं, भले जीत न मिल सकी। वह भी आरजेडी से आती हैं। पिंकी यादव का पुराने पार्षदों का साथ मिल सकता है। ये भी आरजेडी से ही आती हैं। इधर मनोज कुमार खुद काउंसलर रहे और लगातार दो बार उनकी वाइफ कांति देवी जीतती रही हैं। ऐसे में मनोज भी अपनी वाइफ के मेयर पद की दावेदारी शुरू कर समर्थन हासिल करना शुरू कर दिया है। चुनाव में वे सबसे अधिक वोट से जीतने वाली काउंसलर रही हैं। इन्हें भी पुराने काउंसलर के साथ नए चेहरों का साथ मिलने की पूरी उम्मीद है।

पूर्व काउंसलर और डिप्टी मेयर बने चाणक्य

दो पोस्ट के चुनाव को लेकर जहां जीते प्रत्याशी और उनके रिलेटिव्स लॉबी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे, वहीं पूर्व मेयर, पूर्व डिप्टी मेयर से लेकर पूर्व और वर्तमान काउंसलर तक लॉबी कर रहे हैं। उन सभीं का अनुभव वर्तमान में मेयर पद के प्रत्याशी को काम आ रहा है। ऐसे लोग अपने संपर्क के और नए काउंसलर के नब्ज टटोलने में लगे हैं।

जाति और पार्टी बना है फैक्टर

चुनाव में दो बातें काफी अहम हो रही हैं। इसमें पहला जातीय और राजनीतिक दल बड़ा पैक्टर बना है। हर कोई जाति से लेकर पार्टी तक को आधार बनाकर समर्थन हासिल करने में जुटे हैं। इसमें महागठबंधन और एनडीए भी है। कोई जाति, तो कोई अगड़ा-पिछड़ा कार्ड खेलने में लगा हुआ है। यहां तक कि मेयर और डिप्टी मेयर के पोस्ट को लेकर परदे के पीछे से राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने भी रुचि लेना शुरू कर दिया है, मगर वे सामने नहीं आकर परदे के पीछे से काम कर रहे हैं। कारण कि नगर निगम का चुनाव दलीय आधार पर नहीं हुआ है।

धन और बल की जोर आजमाइश

पद को पाने की दौड़ में शामिल कैंडिडेट धन से लेकर बल तक का यूज करने पर आमदा हैं। कुछ कैंडिडेट द्वारा ऑफर किए जाने की चर्चा है। अनेक काउंसलर समर्थन के एवज में मोलभाव भी करने लगे हैं। पटना सिटी से आने वाले काउंसलरों का कहना था कि परंपरा रही है कि मेयर या डिप्टी में से एक पद सिटी से रहा है। फिर सशक्त स्थायी समिति में जगह की मांग भी रखी जा रही है। बड़ा सवाल है कि धन-बल की मदद से मेयर बन भी गए, तो दो साल के बाद अविश्वास का प्रस्ताव भी लाया जा सकेगा। ऐसे में दोबारा से हार्स ट्रेडिंग से लेकर अन्य दांव-पेंच शुरू हो जाएगा। पूर्व मेयर अफजल इमाम का कहना है कि काउंसलर मेयर चुनेंगे। टीम लोगों से संपर्क में है। मगर पत्‍‌नी या किसी और के प्रत्याशी के मुद्दे पर नहीं बोलते।

अबतक जीत दर्ज किए गए काउंसलर या पब्लिक द्वारा हॉर्स ट्रेडिंग के बारे में कोई शिकायत नहीं की गई है। भागलपुर नगर निगम के मेयर चुनाव में शिकायत आने पर जांच कर रिपोर्ट मांगी गई, जो अबतक अप्राप्त है।

दुर्गेश नंदन

सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग