-चंद्रकांता को भारतीय साहित्य का गौरवपूर्ण धरोहर बताया

PATNA CITY : रानीघाट स्थित गायत्री भवन में कालजयी उपन्यास चंद्रकांता के रचयिता देवकी नंदन खत्री की क्भ्म् वीं जयंती मनाई गई। मानवोदय, देवकी नंदन स्मृति संस्थान व मिथिला आर्ट एवं कल्चर एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित लघुकथा व कवि सम्मेलन का उद्घाटन भारतीय पुरातत्व संस्थान के निदेशक डॉ। संजय कुमार मंजुल ने किया। उन्होंने उपन्यास चंद्रकांता को भारतीय साहित्य का गौरवपूर्ण धरोहर बताया।

शिक्षाविद् व लघुकथाकार डॉ। ध्रुव कुमार ने कहा कि खत्री जी ने कठिनाइयों को झेलते हुए अपनी लेखनी जारी रखी। साहित्यकार डॉ। कल्याणी कुसुम सिंह ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद को भी खत्री जी से उपन्यास लिखने की प्रेरणा मिली थी। चित्रकार सह कवि राजेंद्र प्रसाद मंजुल ने कहा कि खत्री जी पाठकों से जीवंत और आत्मीय संपर्क बनाने में सफल हुए थे। कार्यक्रम का संचालन प्रभात कुमार धवन ने किया।

लघुकथा सत्र में किलकारी कच् बच्चों में प्रवीण कुमार ने आगे ऐसा नहीं होगा, सम्राट समीर ने प्रभाव, हर्षराज ने चोर कौन, सरिता रानी ने मॉ, श्रेया ने आगे भी पढ़ेंगे और रानी ने शिकार शीर्षक से अपनी-अपनी लघुकथा का पाठ कर श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ी।

इस मौके पच् बच्चों को सम्मानित किया गया। दूसरे सत्र में दरभंगा, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, गया, मुंगेर के कवियों ने श्रोताओं को काव्य रस में डुबोया। कवियों में घनश्याम, कुंदन आनंद, सुनील मंजुल, मनोज उपाध्याय, सुनील उपाध्याय, मनीघ कौशिक, राम किशोर सिंह विरागी, मुनटुन राज, सुबोध मंजुल, श्रीकांत व्यास, भूषण खत्री, बाल कवियों में शिवांश, श्लोक, दर्पण, सूष्टि, दर्शन, श्वेता, संगम व अंकुर थे। एसोसिएशन के महासचिव सुनील मंजुल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।