- बिहार में तेजी से बढ़ रहे हैं डायबटीज से आंखों की बीमारी

- आईएमए के साथ पटना के नेत्र चिकित्सक कर रहे हैं नई पहल

PATNA : अगर आपको या आपके परिवार में किसी को डायबटीज है तो आंखों की देखभाल को लेकर सावधान हो जाइए क्योकि थोड़ी सी लापरवाही आंखों की रोशनी छीन सकती है। पटना में ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है जो लापरवाही के कारण आंखों की रोशनी गंवा रहे हैं। आईएमए के साथ डाक्टरों की एक टीम ने इस दिशा में बड़ी पहल की है जिससे न सिर्फ डायबटीज के मरीजों को जागरुक किया जाएगा बल्कि उनकी रोशनी को भी बचाने में बड़ी सफलता मिलेगी।

- आंखों के लिए संजीवनी होगा प्रयास

आइएमए, एआइओएस, एक्वायन बिहार, न्यू पटना क्लब, वीआरएस बिहार ने डायबटीज के मरीजों की आंखों की रोशनी बचाने के लिए एक साथ मिलकर बड़ा प्रयास करने जा रहा है। इस दिशा में ख्ब्। और ख्भ् जून को कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। इसमें आज नेत्रहीन स्कूल में कैम्प लगाकर बच्चों की आंखों की रोशनी की जांच की जाएगी। साथ ही साथ वैज्ञानिक सत्र का भी आयोजन किया जाएगा। वैज्ञानिक सत्र का उद्धाटन उधोग और विज्ञान प्रौधोगिकी मंत्री जय कुमार सिंह और सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता द्वारा किया जाएगा। इसमें देश से क्ख्भ् नेत्र चिकित्सक शामिल होंगे।

- आंखों की रोशनी बचाने के लिए हुई तैयारी

आंखों की रोशनी बचाने को लेकर चलाए जाने वाले कैंपेन में कोऑर्डिनेटर आइएमए, एआइओएस पीडीबी प्रोजेक्ट बिहार के डॉ। सुनील कुमार सिंह ने कई अहम बिंदुओं पर चर्चा की। इस दौरान डॉ। नगेन्द्र प्रसाद और डॉ। सुधीर कुमार ने भी तैयारी को लेकर चर्चा करते हुए डायबटीज से आंखों को होने वाली क्षति के बारे में बताया।

- इस पर दें ध्यान ताकि आंखों में रहे जान

- अधिक समय तक बने रहने वाला डायबिटीज शरीर के दूसरे अंगों करता है डैमेज

- डायबटीज का सबसे अधिक आंखों पर पड़ता है प्रभाव

- डायबिटीज के मरीजों में अगर शुगर की मात्रा नियंत्रित नहीं रहती तो वह डायबिटीक रेटिनोपैथी के शिकार हो सकते हैं

- दुनियाभर में करीब क्भ् लाख बच्चे किन्हीं कारणों से अंधेपन का शिकार हैं

- थोडी सी सावधानी व जागरूकता से इनमें से एक तिहाई को अंधेपन से बचाया जा सकता था

- इतने ही बच्चों को सही उपचार से ठीक किया जा सकता है

- डायबिटीज के च्यज्दातर मरीजों में रेटिनोपैथी की आखिरी स्टेज आने तक भी पता नहीं चलता

- तब तक उचित इलाज की संभावना भी कम रह जाती है

- बीमारी फैलने की रफतार तेज हो सकती है, रेटिनल रोग के मद्देनजर मधुमेह रोगियों की नियमित जांच होनी चाहिए