-ट्रैक्योइजो फिजुअल फिसुला का होना था आपरेशन, चार दिन यहीं जन्म लिया था

PATNA CITY : एनएमसीएच के शिशु रोग विभाग के तहत एनआईसीयू में बुधवार की शाम नवजात की मौत पर हंगामा कर तोड़फोड़ किया गया। इस मामले में पुलिस ने समझा-बुझा कर मामले में शांत कराया।

क्या है पूरा मामला

करीब चार दिनों पूर्व अरवल के रहने वाले रामपुकार सिंह की पत्‍‌नी ने गाइनी में नवजात को जन्म दिया। जन्म के बाद नवजात को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। साथ ही खाना की नली भी मिला था। इसे मेडिकल की भाषा में टद्यैक्योइजो फिजुअल फिसुला कहते हैं। नवजात को शिशु रोग में दिखाने पर चिकित्सक ने उसे मामला सर्जरी का बता उसे आईजीआईएमएस में रेफर कर दिया। इस दौरान पेरेंट्स में एनबी रोड स्थित एक शिशु रोग चिकित्सक से दिखाया, तो उन्होंने भी सर्जरी का मामला बता फ्-ब् लाख खर्च क बात कही।

काफी आग्रह करने के बाद नवजात को एनआईयीयू में रखा गया, मगर ख्म् जून को उसे आईजीआईएमएस में रेफर कर दिया गया। पेरेंट्स नवजात को वहां ले गए, मगर घूम कर फिर उसी दिन शाम म्.फ्0 में लेकर फिर एनएमसीएच ले आया और रात भर एनआईसीयू में रखने की बात कह सुबह ले जाने की बात कहा। उसने बताया कि वहां बेड खाली नहीं है। दूसरे दिन ख्7 जून को रेफर करने के बाद भी वह ले जाने को तैयार नहीं था और चिकित्सक सर्जरी का मामला बता रहे थे।

इसके बाद रामपुकार सिंह डीएस डा। गोपाल कृष्ण से मिला। उनके कहने पर अधीक्षक डा। एपी सिंह से मिला। दोनों ने नवजात को सर्जरी की बात कह ले जाने की बात कही। इस पर दोनों नवजात को लेकर चल दिए। उसके बाद नवजात की मौत हो गई। बुधवार को अपराह्न में रामपुकार सिंह नवजात को लेकर आया और उसकी मौत और इलाज में कोताही का आरोप लगा हेलमेट से प्रहार कर एनआईसीयू का शीशा तोड़ डाला और पथराव किया। बाद में पुलिस ने समझा कर वापस भेजा।

मामला सर्जरी का था और नवजात के सर्जरी की व्यवस्था एनएमसीएच में नहीं है। रेफर करने और आग्रह पर रखा भी गया। उसके मौत का जिम्मेवार डाक्टर नहीं है। उसकी तो और मदद की गई।

डा। गोपाल कृष्ण, उपाधीक्षक, एनएमसीएच