PATNA : किसी भी देश और राज्य का विकास वहां कि जनसंख्या पर डिपेंड करता है। जहां कि पॉपुलेशन एजुकेटेड है तो वहां विकास निश्चित ही दिखता है। लेकिन यदि किसी क्षेत्र में पॉपुलेशन ज्यादा है तो वहां आपको अव्यवस्था ही अव्यवस्था दिखेगी। यदि हम पूर्वी भारत की बात करें तो कोलकाता के बाद पटना दूसरा सबसे बड़ा शहर है।

एक रिसर्च के मुताबिक बिहार की कुल जनसंख्या लगभग 9.9 करोड़ हो चुकी है। यही वजह है कि दिन पर दिन राजधानी की आबोहवा बिगड़ती जा रही है। पानी, भोजन, घर माकान, शिक्षा और रोजगार में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में एक सामान्य शहरी के लिए जीवन कठिन होता जा रहा है। सुख-सुविधाओं के सारे संसाधन दिन पर दिन कम होते जा रहे हैं और इसके लिए हमें काफी कीमत चुकानी पड़ रही है। व‌र्ल्ड पॉपुलेशन डे पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट लगातार पांच दिनों तक आपको बताएगा कि शहर में बढ़ती आबादी के कारण पानी, भोजन, घर-माकान, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में क्या कमी आ रही है और कितना उपलब्ध है

चार नदियां फिर भी पानी की कमी

पटना से चार नदियां गुजरती हैं- गंगा, सोन, गंडक और पुनपुन। फिर भी पीने के पानी और सिंचाई के लिए लगातार पानी की कमी हो रही है। इसका मुख्य कारण है शहर में बढ़ता पॉपुलेशन। जरूरत से ज्यादा पानी के दोहन के चलते धरती का जलस्तर लगातार घट रहा है। इसने न सिर्फ भूवैज्ञानिकों की बल्कि राजनीतिज्ञों की चिंता भी बढ़ा दी है। बिहार में गंगा के दक्षिण और पुनपुन के उत्तर स्थित पटना शहर के नीचे सोन नदी की प्राचीन धारा है और इसके अधिकांश भूगर्भीय जलकुण्डों का सम्पर्क सोन नदी है। लेकिन हर वर्ष गर्मी आते ही शहर में पानी की कमी शुरू हो जाती है।

जरूरत क्ख्भ् और सप्लाई क्ख्0 एमएलडी

नगर निगम एरिया में लोगों को पानी की जरूरत क्ख्भ् एमएलडी की है। मगर पटना वाटर बोर्ड क्ख्0 एमएलडी की आपूर्ति करता है। इसके अलावा अपार्टमेंट से लेकर संपन्न लोगों के घरों में वाटर बोर्ड के सप्लाई वाटर पर डिपेंड नहीं होकर खुद का बोरिंग लगा चुके हैं। वहीं वार्ड वार अलग से पानी के संकट वाले एरिया में समरसेबल बोरिंग करा कर पाइप विस्तार कर लोगों के दरवाजे तक पानी पहुंचाने का काम काउंसलर के लेवल से किया गया। नगर निगम के संपन्न चुनाव के पूर्व हर वार्ड में पांच-पांच समरसेबल बोरिंग कराने की स्वीकृति नगर निगम से दी गई थी। अनेक वार्ड में तो अब भी क्0 से फ्भ् तक समरसेबल से पानी की आपूर्ति हो रही है।

क्फ्ख् बोरिंग से होता है वाटर सप्लाई

नगर निगम एरिया में क्फ्ख् बोरिंग की मदद से लोगों के घरों तक वाटर सप्लाई किया जाता है। इसमें भी तीन कैटेगरी में क्ख्0, क्00, 7भ् और म्0 एचपी के मोटर से सप्लाई किया जाता है। इसमें पानी की जरूरत और बोरिंग के पुराना होने के कारण मोटर की क्षमता आंका जाता है। क्फ्ख् के अलावा एक-एक आलमगंज, मालसलामी और छज्जुबाग में बोरिंग नया हुआ है। वार्ड म्0 के गुरु गोविंद सिंह अस्पताल कैंपस और कॉपरेटिव कॉलोनी में बोंरिंग के लिए टेंडर की प्रक्रिया जारी है।

बूढ़ी होती पाइपलाइन

आधुनिक किस्म की सरकारी जलापूर्ति व्यवस्था शहर के म्0 प्रतिशत से अधिक हिस्से को भी नहीं समेट पाता। जिस सिस्टम से जलापूर्ति होती है, वह पाइपलाइन आजादी के पांच साल बाद क्9भ्ख् में बिछी थी। तब से आबादी बढ़ती गई और पाइपलाइनें बूढ़ी होती गईं। उसका दायरा बढ़ाना तो दूर, देखरेख करने में गहरी लापरवाही बरती गई। नतीजन रोजाना तीन-चार सौ जगहों पर लीकेज होता है। पानी बर्बाद होता है और पाइपों के जरिए नालियों का गन्दा पानी घरों में जाता है।

महत्वपूर्ण बातें

- शहर के ग्राउंड लेवल वाटर की तुलना अमेरिका के टेनेसी शहर के ग्राउंड वाटर से की गई है।

- ब्0-ब्भ् फीट के बाद से शहर का ग्राउंड लेवल वाटर पीने के यूज में किया जाता है।

- शहर में क्00 से अधिक मोटर से शहर के तमाम वार्ड में की जाती है लाखों लीटर पानी की सप्लाई

- वाटर सप्लाई पाइप के जगह-जगह फटे होने और लिकेज के कारण घरों में जाता है गंदा पानी

- गंगा में लगातार कचरा गिराने के कारण ग्राउंड लेवल वाटर में बढ़ गई है आर्सेनिक की मात्रा

- शहर में गंदा पानी सप्लाई होने से पटनाइट्स हो रहे हैं पेट की बीमारियों से पीडि़त

- वाटर बोर्ड द्वारा नहीं किया जाता है सप्लाई वाटर की साफ-सफाई

- लगातार क्भ् साल से गिरता जा रहा है ग्राउंड वाटर लेवल

- शहर में सप्लाई सिस्टम की वजह से बर्बाद होता है शहर का पानी

शहर में इसकी है जरूरत

- सप्लाई सिस्टम को सुधारने के लिए ओवर टंकी की है जरूरत

- हर टंकी का अपना बोरिंग और सप्लाई की टाइमिंग भी तय हो

- पानी की सप्लाई सिस्टम को मीटर से कनेक्ट करने की है जरूरत

- वाटर बोर्ड में कार्यरत लापरवाह कर्मियों पर किया जाए सख्त कार्रवाई

राजधानी में पानी की हालत

- पानी की खपत 7भ् लाख गैलन

- पानी की जरूरत 8भ् लाख गैलन

- हर दिन वेस्ट वाटर क्फ् लाख गैलन