मुख्यमंत्री की ये सातों योजनाएं बिहार के सभी वर्गों के विकास के लिए बनाई गईं हैं। बिहार में इनको पूरा करना काफी चैलेंजिंग है। अगर इन चुनौतियों पर सरकार पार पाएगी तभी विकास हो पाएगा, नहीं तो बिहार को विकसित होने में 4 के बदले 40 साल 

लग सकते हैं। आई नेक्स्ट की इस स्पेशल रिपोर्ट में पढि़ए सात निश्चय के सात चैलेंज जो विकास की राह में बाधा बन 
सकते हैं.
आर्थिक हल, युवाओं को बल
इस निश्चय को पूरा करने के लिए शिक्षण संस्थाओं का रोल अहम होगा। बिहार की शिक्षा व्यवस्था की हकीकत किसी से छुपी नहीं है। बिहार में 13 फीसदी स्टूडेंट्स ही हायर एजुकेशन ले पाते हैं। इसे इस शिक्षा व्यवस्था के साथ दोगुना कर पाना बड़ा चैलेंज है। पूरे प्रदेश में प्रशिक्षण केंद्रों को इतनी तेजी से चालू किया जा सके इसकी व्यवस्था सरकार के पास नहीं है.
आरक्षित रोजगार, महिला का अधिकार
इस निश्चय को पूरा करने के लिए महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण दिया गया है। आरक्षण का लाभ वही महिलाएं ले पाएंगी जो पढ़ी लिखी है। महिला शिक्षा के मामले में बिहार सबसे पिछड़ा राज्य है। देश में प्रति हजार में 331 महिलाओं के हाथ में काम है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा सिर्फ 90 का है.अवेयरनेस के लिए गांव-गांव अभियान चलाना होगा। एकबार फिर इस अभियान को पूरी तरह सफल होने में वर्षों का वक्त लगेगा.
हर घर बिजली लगातार
इस अभियान की हकीकत का पता तब चलता है जब समय बीत जाने के बाद कई जिलों में सर्वे का काम तक पूरा नहीं हो पाता। पटना जिले में ही 4 लाख से अधिक घरों में अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं है। जिले में बिजली डिस्ट्रीŽयूट करने के टेंडर पर भी कंपनियां रूचि नहीं ले रही है.
अवसर बढ़े, सब आगे पढ़ें
इस निश्चय के तहत 3 हजार करोड़ से अधिक रुपए से इंजीनियरिंग कॉलेज, 2 हजार करोड़ से मेडिकल कॉलेज सहित कई योजनाएं 6 सौ करोड़ की हैं। इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर ये पैसा आएगा कहां से। शराबबंदी के बाद सरकार के टैक्स कलेक्शन में भी कमी देखी गई है। ऐसे में ये योजनाएं काफी पिछड़ सकती हैं.
शौचालय निर्माण, घर का सम्मान
बिहार में 80 फीसदी लोगों के पास शौचालय नहीं है। इस स्थिति को ठीक करने के लिए हर साल 35 लाख शौचालय बनाने होंगे। अभी सरकार 1 लाख शौचालय हर साल बना रही है। इसके अलावा 65 फीसदी भूमिहीन लोगों को शौचालय की सुविधा देना सबसे बड़ा चैलेंज होगा.

हर घर नल का जल

यह योजना पूरे बिहार के लिए है, लेकिन हकीकत का पता करें तो राजधानी पटना में भी यह काम पूरी तरह से नहीं हो पाया है। राज्य के पास एक भी मॉडल सिटी नहीं है जिसे वह इस योजना के लिए एग्जाम्पल के तौर पर रख सके.

पक्की गली-नालियां
सड़क निर्माण की स्थिति देखनी हो तो राजधानी की सड़कों की हालत देख लीजिए। इस योजना के तहत 140 करोड़ की राशि खर्च कर गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा जाएगा। इस काम में बजट की कमी बड़ा चैलेंज रहेगा.

 

मुख्यमंत्री की ये सातों योजनाएं बिहार के सभी वर्गों के विकास के लिए बनाई गईं हैं। बिहार में इनको पूरा करना काफी चैलेंजिंग है। अगर इन चुनौतियों पर सरकार पार पाएगी तभी विकास हो पाएगा, नहीं तो बिहार को विकसित होने में 4 के बदले 40 साल लग सकते हैं। आई नेक्स्ट की इस स्पेशल रिपोर्ट में पढि़ए सात निश्चय के सात चैलेंज जो विकास की राह में बाधा बन सकते हैं।

 

आर्थिक हल, युवाओं को बल

इस निश्चय को पूरा करने के लिए शिक्षण संस्थाओं का रोल अहम होगा। बिहार की शिक्षा व्यवस्था की हकीकत किसी से छुपी नहीं है। बिहार में 13 फीसदी स्टूडेंट्स ही हायर एजुकेशन ले पाते हैं। इसे इस शिक्षा व्यवस्था के साथ दोगुना कर पाना बड़ा चैलेंज है। पूरे प्रदेश में प्रशिक्षण केंद्रों को इतनी तेजी से चालू किया जा सके इसकी व्यवस्था सरकार के पास नहीं है।

 

आरक्षित रोजगार, महिला का अधिकार

इस निश्चय को पूरा करने के लिए महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण दिया गया है। आरक्षण का लाभ वही महिलाएं ले पाएंगी जो पढ़ी लिखी है। महिला शिक्षा के मामले में बिहार सबसे पिछड़ा राज्य है। देश में प्रति हजार में 331 महिलाओं के हाथ में काम है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा सिर्फ 90 का है.अवेयरनेस के लिए गांव-गांव अभियान चलाना होगा। एकबार फिर इस अभियान को पूरी तरह सफल होने में वर्षों का वक्त लगेगा।

 

हर घर बिजली लगातार

इस अभियान की हकीकत का पता तब चलता है जब समय बीत जाने के बाद कई जिलों में सर्वे का काम तक पूरा नहीं हो पाता। पटना जिले में ही 4 लाख से अधिक घरों में अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं है। जिले में बिजली डिस्ट्रीŽयूट करने के टेंडर पर भी कंपनियां रूचि नहीं ले रही है।

 

अवसर बढ़े, सब आगे पढ़ें

इस निश्चय के तहत 3 हजार करोड़ से अधिक रुपए से इंजीनियरिंग कॉलेज, 2 हजार करोड़ से मेडिकल कॉलेज सहित कई योजनाएं 6 सौ करोड़ की हैं। इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर ये पैसा आएगा कहां से। शराबबंदी के बाद सरकार के टैक्स कलेक्शन में भी कमी देखी गई है। ऐसे में ये योजनाएं काफी पिछड़ सकती हैं।

 

शौचालय निर्माण, घर का सम्मान

बिहार में 80 फीसदी लोगों के पास शौचालय नहीं है। इस स्थिति को ठीक करने के लिए हर साल 35 लाख शौचालय बनाने होंगे। अभी सरकार 1 लाख शौचालय हर साल बना रही है। इसके अलावा 65 फीसदी भूमिहीन लोगों को शौचालय की सुविधा देना सबसे बड़ा चैलेंज होगा।

 

हर घर नल का जल

यह योजना पूरे बिहार के लिए है, लेकिन हकीकत का पता करें तो राजधानी पटना में भी यह काम पूरी तरह से नहीं हो पाया है। राज्य के पास एक भी मॉडल सिटी नहीं है जिसे वह इस योजना के लिए एग्जाम्पल के तौर पर रख सके।

 

पक्की गली-नालियां

सड़क निर्माण की स्थिति देखनी हो तो राजधानी की सड़कों की हालत देख लीजिए। इस योजना के तहत 140 करोड़ की राशि खर्च कर गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा जाएगा। इस काम में बजट की कमी बड़ा चैलेंज रहेगा।