-किताब प्रेम ने बताया कि कल्चर हैं किताबें, किताबों के मेले का मजा कुछ और है

-गांधी मैदान हादसे के बाद सबसे बड़ी गैदरिंग

<किताब प्रेम ने बताया कि कल्चर हैं किताबें, किताबों के मेले का मजा कुछ और है

-गांधी मैदान हादसे के बाद सबसे बड़ी गैदरिंग

PATNA: patna@inext.co.in

PATNA: पटना का गांधी मैदान। मैदान में किताबों का मेला। मेले में खूब सारी किताबें। खूब सारे पाठक-खरीददार। बच्चे खो जा रहे हैं कई बार और फिर एनाउंसमेंट के बाद पैरेंट्स आकर ले जा रहे हैं। संडे को एक बिट्टू खो गया। बिट्टू पहुंचा फेयर कैंप में मस्ती से केक खाते हुए। आकर कहा उसने- मेरे पापा खो गए हैं। ढ़ूंढ़ दीजिए। एनाउंस किया गया और पापा आकर ले गए बिट्टू को। बिट्टू ने कहा थैंक्स अंकल। समझ गए ना आप। ये आज के बच्चे हैं। तेज। होशियार। सिखाए हुए। ऐसे ही मेला परवान चढ़ता रहा गांधी मैदान में। लोग बढ़ते गए लगातार। संडे का दिन, इसलिए ज्यादा लोग और जगह कम पड़ने लगी। ये वही गांधी मैदान है जहां रावण वध में फ्फ् लोग मारे गए। उस घटना के बाद ये सबसे बड़ी गैदरिंग गांधी मैदान में। किताबों ने सब को खींच लाया यहां। जैसे सब भुला दिया लोगों ने। ये किताबों की माया है। इंटरनेट, टीवी सब को लगातार हराती किताबें।

लोग किताबों को ढ़ूंढते रहे

क्लास 7 में पढ़ता है तिलक। एकलव्य स्कूल में। वह ढ़ूं़ढ़ता रहा किताबें और खरीदी उसने रोचक पहेलियां, अकबर बीरबल के किस्से। आई नेक्स्ट ने पूछा घर में टीवी देखते हो? उसने कहा, हां देखता हूं। क्या देखते हो? सीरियल, और प्यार हो गया। कार्टून देखते हो? नहीं। न्यूज देखता हूं। डीएवी क्लास 8 की दिव्या ने खरीदी किताब विश्व के महान वैज्ञानिक। उसके पापा खुश हैं कि बेटी ने अच्छी किताब खरीदीं।

किताब और किताबों जैसे संस्कार

किताबें संस्कार देती हैं। यही वजह है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को घुमाने लाए। मेले में। बच्चे किताबें उलट- पलट रहे हैं। खरीद भी रहे हैं। इतनी सारी किताबें देखकर बच्चों की आंखें चमक रही हैं। जैसे ये सारी किताबें उसी की हैं। बस चले तो पूरे मेले को घर ले आएं उठाकर। जो पैरेंट्स अपने बच्चों को मेले में लेकर आएं उनमें से ज्यादातर ऐसी चाहत वाले मिले कि उनके बच्चे टीवी कम देखें और किताबें ज्यादा पढ़ें। सब को लगता है कि किताब पढ़ना कल्चर है। ये बेहतर इंसान बनाता है।

कांपटीशन की किताबें

कई प्रकाशकों के स्टॉल पर कांपटीशन की खूब सारी किताबें हैं। यहां बहुत भीड़ है। नेट से लेकर एसएससी, इंजीनियरिंग और मेडिकल की किताबें। किस कांपटीशन की तैयारी करते हैं आप? कहिए, यहां सब है। ऐसी किताबों को पढ़कर कई की जिंगदियां चमकीं। भले इंटरनेट आ गया पर कांपटीशन की मैगजीन की डिमांड गर्म है। मैथ, रीजनिंग से लेकर ग्रामर और स्पोकन इंग्लिश तक की किताबों का जो बाजार है वह लाखों-करोड़ों का है।

किताबों में कांपटीशन

किताबों के बीच भी कांपटीशन है। जैसे प्रभात प्रकाशन के स्टॉल पर अकेला आदमी, कहानी नीतीश कुमार की और कॉमनमैन नरेन्द्र मोदी। नीतीश कुमार पर संकर्षण ठाकुर ने लिखी है किताब और नरेन्द्र मोदी पर किशोर मकबाना ने। दोनों किताबों में चाहे-अनचाहे कांपटीशन है। सूत्रों ने बताया कि नरेन्द्र मोदी की इस किताब की ज्यादा डिमांड है। हालांकि संकर्षण ठाकुर की किताब में कई विवादित बातें हैं।

किताब से एक विवादित हिस्सा आप भी पढि़ए

मौजूद लोगों में से किसी को भी याद नहीं कि मुख्यमंत्री के कमरे में दाखिल होने के कुछ मिनट के अंदर ही ऐसा क्या हुआ कि बैठक अचानक गाली-गलौज में बदल गई और मुक्केबाजी होने लगी। लालू की चीख- चिल्लाहट सबसे ऊपर थी, उनका सारा गुस्सा ललन सिंह पर फूट रहा था। जिसे उन्होंने बड़े आक्रोश के साथ इशारा करते हुए कहा, निकल बाहर, बाहर निकल हल्ला गुल्ला बिहार भवन के भूमि तल पर वीवीआईपी गलियारे में किसी विस्फोट की तरह गूंजने लगागालियां गोलियों के माफिक छूट रही थींगालियां बरस रही थीं। सरजू राय यह देखने के लिए बाहर निकलकर आए कि माजरा क्या है। उन्होंने वीवीआईपी दरवाजे पर धक्का- मुक्की होती देखी। लालू को अपने सभी सुरक्षा-कर्मियों को आवाज लगाते सुना गया, जो कोरिडोर के आगे कहीं सोए हुए थे। पकड़ के फेंक दो बाहर, ले जाओ घसीट के, मुख्यमंत्री शायद ललन सिंह को ही बाहर ले जाने के लिए चीख रहे थे। ललन सिंह ने तब या कभी कुछ ऐसा कहा होगा कि लालू भड़क गए। लेकिन इससे पहले कि उसे उठाकर बाहर निकाला जाता नीतीश अपने साथ आए लोगों को लेकर वहां से यह कहते बड़बड़ाते हुए कि अब साथ चल पाना मुश्किल है। बिहार भवन से बाहर हो गए। उन्होंने सरयू राय से एक पत्र लिखने के लिए कहा जिसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि साथ छोड़ने की नौबत क्यों आई। नीतीश वह पत्र बहुत शीघ्र किसी मौके पर सार्वजनिक करना चाहते थे। राय ने वह पत्र लिखा, उपर्युक्त पत्र कुछ समय के लिए कहीं दबा पड़ा रहा। श्रीकांत के संकलन में वही पत्र रहस्यमय ढ़ंग से सामने आ गया इस टिप्पणी के साथ कि पत्र का अंतिम पन्ना गुम हो गया।

चा‌र्ल्स डार्विन से स्टीफन हॉकिंस तक

किताबों की इस दुनिया में कई लेखक हैं चा‌र्ल्स डार्विन से लेकर स्टीफन हॉकिंस के पूरे विचार हैं। खोज है। लेकिन जो नई किताबें आई हैं विभिन्न प्रकाशकों के, यहां उस पर गौर कीजिए-

अब तक आए चर्चित चेहरे

बुक फेयर में कई चर्चित चेहरे अब तक आ चुके हैं। कुछ बुक रिलीज करने आए तो कुछ व्याख्यान देने। पंडवानी गायिका तीजनबाई, सोशल एक्टिविस्ट किरण बेदी, युवा आलोचक व पत्रकार अनंत विजय, चर्चित कवि मदन कश्यप, संघ विचारक प्रो राकेश सिन्हा।

ये प्रोग्राम्स रहे खास

बिहार के लोकगाथाओं की प्रस्तुति खास रही। गिरीश रंजन की फिल्म का प्रदर्शन, कल हमारा है फिल्म दिखायी गई। ये बिहार की पहली फीचर फिल्म मानी जाती है। क्रॉस वर्ड पर पहली बार प्रोग्राम हुआ। पेंटिंग एक्जीबिशन लगाया गया। पटना के नेशनल लेवल के फोटोग्राफर्स की प्रदर्शनी लगायी गई। इन फोटोग्राफर्स ने पटना बुक फेयर की फोटोग्राफी भी की।