- मेयर और डिप्टी मेयर दोनों ने की बोर्ड की मीटिंग

- योजना से पब्लिक को नहीं मिलेगा कुछ फायदा

- 10 महीने से अटका हुआ है शहर का सारा मामला

PATNA : पटनाइट्स के लिए घरों के सामने सफाई, नाले की सफाई जैसे कई मामले अभी अधर में लटके रहेंगे, क्योंकि योजनाओं पर इतनी राजनीति हुई है कि अब उसे जमीन पर लाने के लिए फिर से पूरी प्रक्रिया को अपनाना होगा। मेयर व डिप्टी मेयर की अध्यक्षता वाली बैठक में हर वार्ड के लिए क्ख् लाख और क्म् लाख की योजनाओं पर सहमति तो बन गई है, लेकिन सहमति के बाद भी अब मामला फंसा हुआ है। क्ब् फरवरी को हुई बोर्ड की बैठक में मेयर अफजल इमाम ने क्म् लाख की योजना को संपुष्ट कर दिया है, पर क्ख् लाख की योजना को यह कह कर संपुष्ट नहीं किया, क्योंकि उसे डिप्टी मेयर की बैठक में किया गया था। हाईकोर्ट से लेकर लीगल ओपिनियन इसके खिलाफ हैं।

बैठकों को डील करना आसान नहीं

नगर निगम अधिनियम ख्007 को देखने के बाद यहीं लगता है कि ये दोनों तरह की योजना को ग्राउंड पर लाना आसान नहीं होगा, क्योंकि सड़क, नाला, रोड के लिए इन योजनाओं को निगम आसानी से निकालने के लिए तैयार नही है। टेक्नीकल एक्सपर्ट बताते हैं कि निगम कमिश्नर के लिए दोनों बैठकों को डील करना आसान नहीं होगा। ऐसे में 7ख् वार्ड के बीच लाख से अधिक की आबादी को अभी और भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे फंसा मामला

बीस अक्टूबर को मेयर अफजल इमाम की ओर से क्म् लाख की योजना को स्वीकृति दी गई है, लेकिन इसमें मेयर अफजल इमाम ने खुद प्रोसिडिंग बनाया है और खुद ही इश्यू कर दिए हैं। इसमें किसी भी ऑफिसर्स व निगम सचिव का साइन तक नहीं है। इसे ऑफिशियल तब माना जाएगा, जब ऑफिसर का उस पर साइन होगा।

कमिश्नर के सामने चुनौती

कमिश्नर इस योजना को मंजूरी देने से पहले नगर विकास विभाग के पास मार्गदर्शन के लिए भेज सकते हैं। उनके मार्ग दर्शन के बाद ही आगे स्टेप उठाया जाएगा। नगर विकास के पास इससे पहले भी कई मार्ग दर्शन भेजे गए हैं, लेकिन अभी तक कुछ रिजल्ट नहीं आ पाया है। ख्क् अक्टूबर को डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता की अध्यक्षता में क्ख् लाख-क्ख् लाख की योजना की स्वीकृति दी है। मेयर अफजल इमाम इसे बोर्ड में संपुष्ट करने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि उन्हें बाईपास करके डिप्टी मेयर ने बैठक कर दी थी। इसके बाद मामला अटका हुआ था। वहीं विरोधी खेमे के लाख दवाब के बाद भी निगम कमिश्नर शीर्षत कपिल अशोक की ओर से कदम नहीं उठाया जाएगा। इसे इग्नोर करने के सिवाय कमिश्नर के पास कोई चारा नहीं है। अगर इसे बोर्ड संपुष्ट कर देता है, तभी जाकर हर वार्ड में इसकी राशि जा सकती है।