पटना (ब्यूरो)। पूरे प्रदेश में शराबबंदी है और इसे लेकर पुलिस सख्ती बरत रही है। लेकिन दूसरी ओर पटना के थानों में शराब का जखीरा है और इसकी गंध के बीच में ही हर दिन पुलिस वालों की दिनचर्या होती है। गर्दनीबाग, पाटलिपुत्र, शास्त्री नगर और राजीव नगर समेत अन्य थानों में शराब का जखीरा है। इन शराब से निकलने वाले बदबू से थानों की स्थिति मधुशाला जैसी हो गई है। इतना ही नहीं, इससे हर उस व्यक्ति को परेशानी होती है जो यहां किसी न किसी काम से पहुंचते हैं। यह उस परिस्थिति में और भी चैलेंजिंग हो जाता है जब शराब की गंध के बीच रहने को पुलिस वाले आदि मजबूर हो रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसे लेकर पटना के विभिन्न थानों की जांच-पड़ताल की। इसमें पाया गया कि कई थानों में महीनों से शराब थानों में ही पडे-पड़े बदबू कर रहे हैं। खासतौर पर देशी शराब ज्यादा दुर्गंध करती है। गर्दनीबाग थाना में इस वजह से थाना परिसर में मधुमख्यिों का भी प्रकोप हो गया है।

मधुशाला वाला फील
हरिबंश राय बच्चन द्वारा लिखित कविता मधुशाला की याद ताजा हो जाती है। ''मदिरालय जाने को घर से चलता है पीने वाला, किस पथ से जाऊं असमंजस में है वह भोला भाला, अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हुं। राह पकड़ तू एक चला चल पा जाएगा मधुशालाÓÓ। जी हां, यदि आप पटना के किसी थाने में चले जाते हैं तो वहां रखी शराब की गंध नाक में आते ही आपको ऐसा ही फील होने लगेगा कि हम किसी मधुशाला में आ गए हैं क्योंकि आपको शराब की गंध यह फील करा देती है।

थानों की मजबूरी
ज्यादातर थानों के मालखाना में जगह की कमी है। क्योंकि शराब के अलावा और भी तमाम चीजें पकड़ी जाती है। पुलिस वालों के लिए सिरदर्दी यह है कि आखिर इसे कहां रखा जाए? रिकार्ड रूम के अलावा जहां जगह मिली वहां आपको शराब देखने को मिल जाएगी। इसलिए कई थानों में प्रवेश करते ही यह दिख जाता है। यहां मक्खियां भिनमिनाती रहती है और ऐसे ही असामान्य माहौल में थानों के कर्मी और अधिकारी काम करते हैं। इनमें महिलाकर्मी भी शामिल है।

नष्ट करने की क्या है प्रक्रिया
पुलिस द्वारा जब्त शराब, गांजा और गैरकानूनी सामान के मामले खत्म होने के बाद नष्ट किया जाता है। ऐसे मामलों का निपटारा होने के बाद जिला पुलिस कोर्ट में अर्जी लगाकर थोक में नष्ट करने की अनुमति मांगती है। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस इन समान का नष्टीकरण करने की कार्रवाई करती है। पुलिस ऐसे मामलों का विनष्टीकरण बीच-बीच में करते रहती है। क्योकि शराब बंदी के बाद मामले काफी बढ गये हैं।

फरियादी होते हैं परेशान
थानों में सैंकड़ों की संख्या में हर दिन फरियादी आते रहते है। लेकिन उनके लिए यह असहज होता है कि आखिर कैसे वे थानाध्यक्ष तक जाएं। क्योंकि पूरे थाना परिसर में इसकी बू आती रहती है। फरियादी के थाना पहुंचने के बाद उसे किसी मधुशाला में आने का फील होता है। नीनाद चंद्रम ने बताया कि जब मैं पासपोर्ट वेरीफिकेशन के लिए गर्दनीबाग थाना पहुंचा तो वहां बड़ी मात्रा में शराब बरामदे में रखी थी। परिसर में प्रवेश करते ही बू आ रही थी।
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शराबबंदी से पहले
शराबबंदी से पहले के दिनों में गैर कानूनी तरीके से पकड़ी गई शराब या अन्य मादक पदार्थ को थाना में लाने के बाद कोर्ट के आदेशानुसार नष्ट करने की प्रक्रिया पहले से थी। इसलिए तब थानों में जब्त की गई शराब को साल भर में दो-तीन बार विनष्टीकरण कर दिया जाता था। इससे संबंधित मामलों को मद्य निषेध में सौंप दिया जाता था। इस दौरान जब्ती की मात्रा की कम होती थी, क्योंकि तब शराबबंदी नहीं थी।

शराबबंदी के दौरान
बिहार सरकार शराबबंदी कानून को लेकर बेहद गंभीर है और थानों को कड़ा निर्देश है शराबबंदी को कड़ाई से लागू कराने के लिए। इसके अलावा ड्रोन से भी छापेमारी कर शराब जब्ती की जा रही है। इसलिए हर दिन भारी मात्रा में शराब पकड़े जा रहे हैं। इसलिए थानों में ये बड़ी मात्रा में मालखाना में जमा हो रहे हैं। नियमानुसार, कोर्ट के आदेश के बाद ही शराब को नष्ट किया जाता है। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में समय बहुत व्यतीत हो जाता है। इस स्थिति में थानों में शराब कई दिनों तक पड़े रहे जाते हैं। इस संबंध में पटना के एसएसपी एमएस ढिल्लो ने बताया कि न्यायालय के आदेश के बाद ही शराब को नष्ट कर दिया जाता है। थानों में पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण शराब बरामदे पर रखी हुई है। जल्द ही इस मामले का जल्द ही निष्पादन किया जाएगा।