क्कन्ञ्जहृन्: राजधानी की आबादी में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पटना की जनसंख्या बढ़ने का मुख्य कारण गांवों से शहरों की ओर पलायन माना जा रहा है। पहले पटना की आबादी इतनी नहीं थी। अब बच्चों को पढ़ाने, नौकरी और व्यवसाय करने वाले लोग राज्य के विभिन्न इलाकों से आकर पटना में रहने लगे हैं। शहर की जनसंख्या बढ़ाने में स्टूडेंट्स का भी बड़ा योगदान है। लाखों छात्र पढ़ते हैं।

30 फीसदी आबादी गांवों से आई

पिछले दो दशक के दौरान जनसंख्या वृद्धि में कम से कम 30 फीसदी से अधिक लोगों का गांव छोड़कर पटना शहर में बसना कारण है। वार्डो में तेजी के साथ हुए विस्तार और झुग्गी-झोपड़ी के शक्ल में पटना शहरी आबादी में बड़ी संख्या उस गांव की जनता का जो किसी न किसी कारण शहर में रहना मुफीद समझ रहा है।

कम पड़ रहीं सुविधाएं

पार्षदों का मानना है कि अधिकांश हिस्सों में गांव के लोगों ने शहर में किराया का मकान या फिर झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहना शुरू किया।

इससे सुविधाएं कम पड़ रही हैं।

गांवों में नौकरी और शिक्षा का कोई भविष्य नहीं है। जिस वजह से पलायन कर शहर में लोगों की संख्या वार्डो में तेजी से बढ़ी है। वार्ड 22 में तकरीबन 30 परसेंट से अधिक ऐसे लोग हैं जो गांव से आए हैं। वे व्यवसाय, शिक्षा व नौकरी के लिए शहर को चुना है।

-दिनेश चौधरी, पार्षद, वार्ड 22 ए

व्यवसाय, नौकरी की तलाश में लोगों ने अपना गांव छोड़ा। वे वार्डो में बस चुके हैं। इनमें कई ऐसे हैं जिनकी नागरिकता दोनों स्थानों पर चल रही है। कुछ लोगों ने शहर में जमीन खरीद ली जबकि कुछेक किराये के भवन में रहकर शहरी जीवन जी रहे हैं।

-स्मिता रानी, पार्षद, वार्ड 57

हर कोई शहर में बसना चाहता है। मानसिकता बन चुकी है कि शहर में नौकरी, शिक्षा और बच्चों का भविष्य सुरक्षित है। साथ ही अन्य सुविधाएं भी बेहतर हैं। इसलिए वार्डो में संख्या बढ़ी है। निगम की बैठक में रजिस्टर्ड आबादी से हटकर वास्तविक आबादी के लिहाज से सुविधाएं मांगते हैं।

-किस्मती देवी, पार्षद, वार्ड 56