PATNA : राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा में बदलाव लाने के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की जगह अब उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा। इस बावत हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) एक्ट 2018 लागू किया जाएगा। इस नए एक्ट का ड्राफ्ट जारी किया गया है। जानकारी हो कि उच्च शिक्षा आयोग को कई महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त होगी। उदाहरण के तौर पर इसका आदेश नहीं मानने वाले संस्थान के प्रबंधक को 3 साल के जेल का प्रावधान भी है। यह आयोग मुख्य रूप से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देगा। यह मामला भले ही राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव का है लेकिन इसका प्रभाव राज्य स्तर पर भी पड़ेगा। इसके विभिन्न पहलुओं को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर के शिक्षाविदें से बातचीत की। आप भी जानिए क्या होंगे बदलाव।

सरकारी यूनिवर्सिटी बंद हो जाएंगे

यूजीसी को खत्म करना गलत है। आयोग के आने से स्टेट यूनिवर्सिटी को ग्रांट की कमी हो सकती है। केन्द्र सरकार समानांतर सरकार वाले राज्य और जहां उनकी सरकार नहीं होगी, ग्रांट मिलने में भेदभाव कर सकती है। उच्च शिक्षा में उदारीकरण व निजीकरण बढ़ेगा। रिसर्च इससे बहुत प्रभावित होगा। सरकारी यूनिवर्सिटी स्वत: बंद हो जाएंगे।

-प्रो। एनके चौधरी, शिक्षाविद् सह एक्स प्रिंसिपल

आयोग करेगा बेहतर काम

पहले यूजीसी के जिम्मे ग्रांट और रेग्यूलेशन का काम था। अब नए आयोग के पास केवल रेग्यूलेशन का काम होगा। इसमें कॉलेजों को मान्यता देना व गुणवत्ता के मानक तय करना भर होगा। इससे काम बेहतर होगा। मान्यता लेना अनिवार्य होगा।

-प्रभाकर झा, एक्स टीचर, पीयू

अत्यधिक परिवर्तन सही नहीं

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक परिवर्तन हो रहा है। यूजीसी का सिस्टम ही सही था। पहले उच्च शिक्षा में ग्रांट को लेकर काफी राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता था लेकिन आयोग बनने से यह संभव होगा। ग्रांट के नाम पर राजनीति हो सकती है। इसके अलावा यदि एमएचआरडी के माध्यम से फंड ग्रांट होता है तो यह सरकार के काम को भी बढ़ा देगा।

-डॉ श्रीकांत शर्मा, एक्स प्रिंसिपल, टीपीएस कॉलेज

आयोग का गठन उचित

उच्च शिक्षा के स्तरहीन होने में यूजीसी जिम्मेदार है। लेक्चरर बहाली में पहले 45 प्रतिशत मा‌र्क्स अनिवार्य था। फिर 55 फीसद किया गया। फिर पीएचडी व नेट क्वालिफाई। ये सभी मानक गलत थे। शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है। जिस पर यूजीसी का नजरिया सही नहीं रहा। आयोग का गठन उचित है।

-आरसी सिन्हा, शिक्षाविद्