- कोरोना के नाम पर शिक्षण संस्थान बंद रखने पर शिक्षकों का विरोध, बनाई मानव श्रृंखला

- बोले, मॉल बाजारों में होती है ज्यादा भीड़ लेकिन बंद कर रहे स्कूल

PATNA :

बिहार सरकार ने कोरोना के बढ़ते असर को देखते हुए स्कूल, कॉलेज व कोचिंग संस्थानों को बंद रखने का निर्णय लिया। लेकिन, इस निर्णय को लेकर अन्य जिलों के साथ ही राजधानी पटना में भी शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को चलाने वाले लोगों के बीच असंतोष उत्पन्न हो गया है। मंगलवार को पटना सिटी के शहीद भगत सिंह चौक पर बड़ी संख्या में शिक्षकों ने मानव-श्रृंखला (ह्यूमन चेन) बनाकर विरोध किया। इसमें सभी की मांग थी कि 12 अप्रैल से सभी शिक्षण संस्थानों को फिर से खोलने की इजाजत दी जाए। सभी ने हैंड बिल, पोस्टर आदि के माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया।

एकतरफा निर्णय क्यों?

मानव श्रृंखला में शामिल शिक्षक नागेंद्र पांडेय ने कहा कि सरकार का फैसला कोरोना को लेकर है। लेकिन यह सिर्फ कोचिंग संस्थान, स्कूल व कॉलेजों पर ही क्यों? जबकि मार्केट प्लेस जैसे मॉल, सब्जी और राशन की दुकानों पर तो ज्यादा भीड़ होती है और वहां संक्रमण फैले का खतरा भी ज्यादा है। वहीं, शिक्षक शंकर चौधरी का कहना है कि अभी कोरोना के मामले बहुत बढ़ चुके हैं। स्कूलों में कोरोना नियमों का अनुपालन किया जाता है। यहां स्टूडेंट भी नियमित रूप से मास्क लगाते हैं। ऐसे में सरकार के शिक्षण संस्थान बंद करने के निर्णय से स्टूडेंट्स की परीक्षा की तैयारी और प्रतियोगिता की तैयारी करने वालों को भी झटका लगा है।

शिक्षा को महत्व नहीं दे रहे

मानव श्रृंखला के बाद शिक्षकों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकर ने केवल शिक्षण संस्थानों की गतिविधियों को नियंत्रण करने की बात कही है। इससे पता चलता है कि वे शिक्षा को हाशिये पर रखना चाहते हैं। यह एक साजिश है जिसके तहत इन्हें बंद रखा जा रहा है। वे शिक्षा को महत्व नहीं दे रहे हैं।

मानव श्रृंखला में टीचर नागेंद्र पांडेय, केके सिंह, कौशलेंद्र कुमार, रवि शंकर प्रीत, विवेक माथुर, सुशील पोद्दार, संजय अलबेला, मो। नसीम सहित कई शिक्षक उपस्थित रहे।

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कोरोना का खतरा केवल स्कूल, कॉलेज और कोचिंग के लिए ही क्यों है। जबकि अन्य वाणिज्यिक संस्थानों, बाजार आदि में इससे ज्यादा और अव्यवस्थित भीड़ होती है। यह फैसला वापस ले सरकार।

- रविशंकर प्रीत, शिक्षक

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बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। यह देखने की जरूरत है। इससे यह स्पष्ट रूप से पढ़ाई बंद करने का फैसला जैसा ही है। कोरोना संक्रमण केवल स्कूल, कोचिंग से तो नहीं है।

- नागेंद्र पांडेय, शिक्षक

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कोरोना के नाम पर शिक्षकों को हाशिये पर रख दिया गया है। ऐसी स्थिति में शिक्षा जगत पिछड़ रहा है। बात सिर्फ शिक्षक की नहीं है। जल्द ही इसे लेकर आंदोलन और तेज किया जाएगा।

- कौशलेंद्र कुमार, शिक्षक

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