- दो के मिलते बायोटाडा देखने की फुर्सत सरकार को भी नहीं थी और न ही गवर्नर को

PATNA: बिहार विधान परिषद् में 12 एमएलसी के मनोनयन के मामले में एक पूर्व सभापति से आई नेक्स्ट ने बात की। उनकी मानें तो ये डिफाइन ही नहीं है कि समाजसेवा का मापदंड क्या होगा? साहित्यकार किसे माना जाएगा? ये पूरी तरह से परिभाषित ही नहीं है। ऐसे में सरकारें अपने-अपने तरीके से सुविधानुसार व्याख्या करती हैं।

लालू के समय भी खाली रही थीं सीटें

जो राजनीतिक कार्यकर्ता इलेक्शन हार जाते हैं, उनकी इच्छा होती है कि वे एमएलसी बन जाए। कोटे से चला जाए तो मच बेटर। ये हर नेता के रसूख पर निर्भर होता है कि वह इलेक्शन हार जाए और उसके बावजूद कोटे से एमएलसी बन जाए और फिर बड़ी मिनिस्ट्री भी पा ले। कोटे वाली सीट के लिए सबसे ज्यादा संख्या में जीभें लपलपाती रहती हैं। सत्ताधारी दल का मुखिया भी इस कोटे वाले 12 फलों की रसदार टोकरी को दिखा कर सब को ललचाता रहता है। कार्यकर्ता धूमकेतु की तरह उसका चक्कर लगाते रहते हैं। पार्टी की गतिविधि को चार चांद लगता रहता है। लालू प्रसाद के समय भी एक बार ये हुआ था कि ये सीटें नहीं भरी गईं थी। जब नीतीश कुमार आए, तब उन्होंने इसे भरा। इधर 25 महीनों तक नीतीश कुमार ने भी इस सीट को नहीं भरा। आखिरकार जब जीतन राम मांझी सीएम बने तो आनन-फानन में इसे भरा गया। 12 मनोनीत किए गए। कई खटाक से मिनिस्टर भी बन गए।

दो मंत्री, दो बायोटाडा, एक्सपीरिएंस एक

ये महज संयोग नहीं है, बल्कि बिहार की पॉलिटिक्स की ऐसी सच्चाई है जो बिहार के उच्च सदन को नया चेहरे देती है। आरजेडी से दो नेताओं को जेडीयू में लाया गया। सम्राट चौधरी और जावेद इकबाल अंसारी। दोनों को कोटे से मंत्री भी बनाया गया। दोनों की बड़ी भूमिका रही आरजेडी को कमजोर करने में और बीजेपी का साथ छूटने के बाद जेडीयू को मदद करने में। नतीजा पुरस्कार तो मिलना ही था, लेकिन ये क्या दोनों के बायोटाडा पर गौर कीजिए। दोनों के नाम, जन्म, पता आदि को छोड़ दें तो सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान के एक-एक शब्द मिलते-जुलते हैं। दोनों बायोटाडा के फोंट भी एकदम मिलते-जुलते हैं। युवा शब्द यूवा लिखा हुआ है तो दोनों जगह युवा ही है।

लेकिन असली मकसद क्या था?

कानून बनाने वाली संस्था उच्च सदन, बिहार विधान परिषद् में मनोनयन कोटे से साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन, और समाजसेवा कोटे से एमएलसी बनाने का मकसद ये था कि इन क्षेत्रों से जुड़े वैसे लोग जो इलेक्शन नहीं लड़ना चाहते और जिन्हें राजनीति से बहुत ज्यादा लेना-देना भी नहीं वैसे लोगों को संसदीय भागीदारी से जोड़ा जाए। इससे इन क्षेत्रों से जुड़े सवाल उठ पाएं और उसके समाधान ढ़ूढ़े जा सकें। जयनारायण मंडल(साहित्यकार), सूर्यनारायण चौधरी (दिनमान में नियमित लिखते थे) और सियाराम तिवारी (बड़े संगीतकार) जैसे लोग भी विधान परिषद् जा चुके हैं। इन्हें कर्पूरी ठाकुर ने परिषद् लाया था। अब शारदा सिन्हा या सुधा वर्गीज जैसों को परिषद् भेजने की फुर्सत किसे है। रामशरण शर्मा को लालू प्रसाद के समय उनके साले तक इस कोटे से भेजे गए थे परिषद्। कर्पूरी ठाकुर से अब तक का बदला हुआ पॉलिटिकल इथिक्स यही है। जीतन राम मांझी से आनन-फानन में किसने 12 नाम पास करवाए ये किसी से छिपी बात नहीं है। तब सत्ता की चाभी किसके पास थी ये जगजाहिर है। तत्कालीन गवर्नर डीवाई पाटील ने इसे लौटाने की जरूरत भी नहीं समझी। फिर से भेजा जाता तो ओके करते। लोग ये तो नहीं कहते कि गजब कि तेजी दिखाई।

बड़े लोगों की बड़ी बात है

आप जानते हैं कि नहीं अभी कि राजनीति के कई धुरंधर विधान परिषद् में हैं। नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, नरेन्द्र सिंह, महाचंद्र सिंह, हरेन्द्र प्रताप, मंगल पांडेय, नवल किशोर यादव, पीके शाही, अशोक चौधरी, केदार पांडेय, देवेश चंद्र ठाकुर, किरण घई जैसे नेता बिहार विधान परिषद् के ही सदस्य हैं। इसी परिषद् में गवर्नर के मनोनयन कोटे से जिसे सरकार ही गवर्नर के पास भेजती है, में अजब-गजब खेल हुआ। इलेक्शन हारने वालों के लिए संजीवनी साबित हुआ परिषद्। पार्टी से गद्दारी करनेवालों के लिए संजीवनी साबित हुआ परिषद्। व्याख्या करने वालों की इथिक्स को आप जो चाहें कहें क्या फर्क पड़ता है। ये शर्म पैदा नहीं करती शायद हनक दिखाती है।

Highlights

- दोनों ग्रामीण क्षेत्रों में समान रूप से गरीब एवं पिछड़े इलाकों में चिकित्सा शिविर का लगातार आयोजन कराते रहे हैं।

-दोनों एक सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध यथा दहेज प्रथा, जाति प्रथा, नशाखोरी के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं।

- युवा संगठन तैयार कर विभिन्न सामाजिक कार्यो में हिस्सा लिया। खासकर बेरोजगार युवकों को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए सक्रिय भूमिका।

-जिला में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए अभियान चलाया। इस अभियान में विशेषकर लड़कियों, महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों में शिक्षा के प्रचार-प्रचार पर विशेष ध्यान दिया।