पटना (ब्यूरो)। नवरात्र में शनिवार की सुबह सौभाग्य योग में मां के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा के बाद शहर के मंदिर, शक्तिपीठ और पूजा पंडालों के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गये। सप्तमी के मूल नक्षत्र में मां का पट खोलने की परंपरा रही है। पट खुलते ही शहर के पूजा-पंडाल और मंदिरों में भक्तों ने मां दुर्गा का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। भक्तों ने माता के जयकारे लगाए और देवी मंत्रों का जाप किया। इससे पहले शुक्रवार को शहर के बांग्ला विधि से पूजा पंडालों, कालीबाड़ी और गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी में मां का पट खोला गया था।

पंडालों की सजावट और लाइटिंग देखने निकले
देवी मंत्रों के जाप और माता के गीतों से शहर का माहौल भक्तिमय हो गया। शनिवार शाम ढलने के साथ ही पंडालों की सजावट और लाइटिंग देखने के लिए बड़ी संख्या में पटनावासी घरों से निकले। पंडालों में भीड़ को रोकने में पूजा समितियों के सदस्यों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। ज्यादातार पंडालों पर लोगों की भीड़ देखने को मिली।

माता को लगा भोग, श्रद्धालुओं में बंटा प्रसाद
सप्तमी पूजा के बाद मां को भोग प्रसाद लगाया गया। आदि शक्ति का पट खुलने के बाद हमेशा की तरह सुबह में माता को लड्डू और शाम को हलवा का भोग लगाया गया। डाक बंगला चौराहा स्थित पूजा पंडाल में पट खुलने के बाद शुद्ध घी का बना हलवा का भोग लगाया गया।

मइया के दर्शन को उमड़े लोग
पट खुलते ही पूजा पंडालों में मइया के दर्शन करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी। नगर का हर रास्ता पूजा पंडालों की ओर मुड़ गया। शनिवार को भक्तों ने माता के अलौकिक रूप का दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की। शक्तिपीठों में दुर्गा सप्तशती के श्लोक गूंजते रहे।
वहीं, पटना सिटी स्थित सिद्ध शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी, छोटी पटनदेवी, श्रीबड़ी देवीजी मारुफगंज, महाराजगंज, दलहट्टा, गुरहट्टा, नंदगोला, रानीपुर, खाजेकला समेत सभी पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं का तांता देर रात तक लगा रहा है। इधर, रात 9 बजे से डाकबंगला चौराहा से लेकर गोला रोड मोड़ तक, डोमन भगत लेन कदमकुआं से न्यू एतवारपुर तक, कंकड़बाग, हनुमान नगर सहित हर तरफ इतनी भीड़ हुई कि सप्तमी को ही अष्टमी-नवमी जैसा दृश्य हो गया। रात्रि बेला में महानिशा पूजा शुरू हुई, जो पूरी रात चली। ब्रह्म मुहूर्त में आरती के साथ महानिशा पूजा संपन्न हुई। उदया तिथि में प्रात: काल में सबसे पहले पूजक साधकों ने बिल्व वृक्ष के समीप प्रार्थना की। फिर युग्म बेल लेकर भूत पसारन कर माता की प्रतिमा के सम्मुख स्थापित किया गया। इसके बाद नवपत्रिका प्रवेश के साथ सवधि पूजन कर प्राण-प्रतिष्ठा माता को नेत्र पड़ा और इसी के साथ माता के पट खोल दिए गए।

नौ पौधों की पूजा है नौपत्रिका
महासप्तमी के दिन नौपत्रिका प्रवेश का काफी महत्व है। नवरात्र के नौ दिनों में नौ पौधों की पूजा फलदायी मानी जाती है, जिसे नवपत्रिका कहते हैं। नौ पौधों में कदली, केला, अनार, धान, हल्दी, मान, कंचु, बेल, अशोक और जौ शामिल है। मान्यता है कि इन नौ पत्रिकाओं में नौ देवियों का वास है। इसलिए महासप्तमी से इन नौपत्रिकाओं को स्नान कराने के बाद साधक-पूजक लोग जगत कल्याण के लिए विधिवत पूजन करते हैं।

इसलिए होती है निशा पूजा
निशा पूजा से मां की असीम शक्ति की प्राप्ति होती है। निशा मतलब रात्रि बेला में मां का पूजन करने से है। निशा पूजा में भक्त मां को वस्त्र अलंकरण आदि चढ़कर 56 प्रकार के भोग लगाते हैं। मान्यता है कि छप्पन भोग लगाने से वह अमृत समान हो जाता है। वह अमृत पान करने से असीम ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

अखंड दीप से अज्ञानता का अंत
नवरात्र में भक्त नौ दिन तक लगातार अखंड दीप जलाते हैं। हमारे भारतीय सनातन धर्म के धर्मशास्त्रों में अखंड दीप का विशेष महत्व है। नवरात्र में माता के समक्ष अखंड दीप जलाते हैं, तो अज्ञानता रूपी तिमिर का अंत तो होता ही है, साथ ही बाजपेयी यज्ञ समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। अखंड दीप जलाने से आदि देवी, आदि भौतिक और आध्यात्मिक उपद्रव से शांति मिलती है। साथ ही ग्रह दोष निवारण के लिए भी घर में अखंड दीप जलाने से ग्रह पीड़ा से मुक्ति मिलती है।