- पांच अन्य पदों के प्रभार में हैं बिहार म्यूजियम के डायरेक्टर

- नहीं हो पाता है पुरावशेषों का संरक्षण

- शोध और संग्रह का काम भी हो रहा है प्रभावित

PATNA : बिहार की तत्कालीन सरकार को दो बातों के लिए अवश्य याद किया जाएगा। पहला ये कि इसी सरकार ने बिहार में एक इंटरनेशनल म्यूजियम की स्थापना की थी। दूसरा ये कि इसी सरकार के कार्यकाल में स्टेट के ख्ख् म्यूजियम को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया था। इसी कारण से पुरातत्व के संरक्षण के साथ साथ शोध का काम भी बाधित हो रहा है।

ख्ख् म्यूजियम और तीन है क्यूरेटर

स्टेट के अलग-अगल जिलों में ख्ख् म्यूजियम हैं। इनमें से प्रमुख हैं बेगूसराय, मुंगेर, भागलपुर, लक्ष्मेश्वर सिंह म्यूजियम दरभंगा, जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मृति संग्रहालय (पटना), सूरज नारायण सिंह (पटना), बृजबिहारी म्यूजियम (पटना), सीताराम उपाध्याय म्यूजियम बक्सर, बाबू वीर कुंवर सिंह म्यूजियम, भोजपुर आदि। स्टेट के इन प्रमुख संग्रहालयों में भी परमानेंट क्यूरेटर की लंबे समय से बहाली नहीं हो सकी है। यही कारण है कि कई म्यूजियम से अनमोल धरोहरों की चोरी तक की बात सामने आयी है। दरभंगा के लक्ष्मेश्वर सिंह म्यूजियम, बेतिया म्यूजियम और गया म्यूजियम को ही अबतक क्यूरेटर मिल सका है। स्टेट के बाकी के क्9 म्यूजियम थर्ड ग्रेड के कर्मचारी के भरोसे ही चल रहे हैं।

चोर समझते हैं एंटीक्वीटि का महत्व

स्टेट के कई ऐसे म्यूजियम हैं जहां से दुर्लभ पुरावशेष की चोरी हो गयी है। पटना म्यूजियम के एक अधिकारी कहते हैं कि एंटीक्वीटि का महत्व हमारे अधिकारियों से ज्यादा यहां के चोर समझते हैं। मालूम हो कि राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल में सहरसा जिले में बाबू कारू खरिहर संग्रहालय का निर्माण किया गया था। इसकी महत्ता इसी से समझी जा सकती है कि इसमें पटना संग्रहालय से दुर्लभ बुद्ध की मूर्ती भेजी गयी थी लेकिन कुछ ही समय बाद यह दुर्लभ मूर्ती वहां से चोरी हो गयी। विडंबना ये है कि बनने के बाद से अबतक कर्मचारी पदाधिकारी की नियुक्ति तक नहीं हो पायी है। यही कारण है कि दुर्लभ पुरावशेष, सिक्के आज भी ताला में बंद हैं।

एक व्यक्ति छह जगहों के प्रभारी

एक एक क्यूरेटर कई म्यूजियम के प्रभार में हैं। इस कारण से अधिकांश म्यूजियम में सबसे अधिक शोध का काम बाधित होता है। जेपीएन सिंह बिहार म्यूजियम के डायरेक्टर हैं, पांच अन्य जगहों के भी प्रभार में हैं। इसके साथ पटना संग्रहालय के अपर निदेशक, बेगूसराय संग्रहालय, कर्पूरी ठाकुर स्मृति संग्रहालय, सूरज नारायण सिंह संग्रहालय भी इन्हीं के चार्ज में है। इसके साथ साथ जेपीएन सिंह ही बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक के पद पर भी हैं। वहीं कला संस्कृति विभाग ने थर्ड ग्रेड के कर्मचारी अरविंद महाजन को क्षेत्रिय उपनिदेशक का चार्ज दिया गया है साथ ही इन्हीं के चार्ज में बक्सर का सीताराम उपाध्याय संग्रहालय और पटना का बृजबिहारी संग्रहालय भी है।

बाधित होते हैं कई अहम काम

मालूम हो कि स्टेट के संग्रहालयों के लिए टेक्निकल असिस्टेंट की बहाली क्987 के बाद नहीं हुई है। वहीं क्लास टू के पद पर क्988 के बाद बहाली नहीं हो पायी है। बताया गया कि ख्00ब् में चार लोगों की बहाली हुई तो थी लेकिन उसमें से एक आदमी ने नौकरी ही छोड़ दी। पर्याप्त संख्या में कर्मी के नहीं होने से कई काम बाधित होते हैं। संग्रहालयों का मुख्य काम होता है संग्रह, प्रदर्शन, संरक्षण और शोध। इन चार कामों में से अधिकांश संग्रहालयों में प्रदर्शन को छोड़कर बाकी के काम नहीं हो पाते हैं। स्किल्ड कर्मियों की कमी के कारण मौजूद धरोहरों का संरक्षण नहीं हो पाता है। संग्रह का काम भी बाधित होता है। साथ ही सबसे अधिक परेशानी शोध करने वाले स्टूडेंट को होता है। क्यूरेटर के नहीं रहने से वे संग्रहालयों में आकर कुछ सीख नहीं पाते हैं।

इस बात को लेकर हमलोग गंभीर हैं। जल्द ही खाली पदों पर बहाली होगी। स्कॉलर के शोध का काम बाधित न हो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है।

- जेपीएन सिंह, निदेशक, बिहार म्यूजियम