हालात-ए-एनएमसीएच : कोरोना काल में प्रभावित है ओपीडी में दवाओं की उपलब्धता

- एनएमसीएच में आने वाले पेशेंट को नहीं मिल रही सभी दवाएं

PATNA :

पटना के दूसरे बडे़ सरकरी हॉस्पिटल एनएमसीएच में भी दवाओं की किल्लत बढ़ गई है। एक तरफ सुविधाओं के मद्देनजर जहां इसे प्रदेश में सबसे पहला नोडल कोरोना हॉस्पिटल घोषित कर इलाज की व्यवस्था की गई, वहीं अब यह अस्पताल दवाओं की किल्लत का सामना करने लगा है। जानकारी हो कि यहां अक्टूबर माह से ओपीडी को पुन: शुरू कर दिया गया है और सभी विभागों में पेशेंट आने भी लगे हैं लेकिन यहां के डॉक्टरों की लिखी दवाएं पेशेंट को यहां के दवा वितरण केन्द्र से पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो रही हैं। हालांकि कोरोना के बाद से दवा संबंधी उपलब्धता को लेकर सभी विभागों से संबंधित मांग बीएमएसआईसीएल को भेजी जा रही हैं, लेकिन अनुमानित रूप से ही दवाएं मंगाई जा रही हैं जिससे इसकी उपलब्धता पर असर पड़ रहा है।

अब कोविड और जनरल दोनों

वर्ष 2020 का अधिकांश समय महामारी से निपटने में निकला जो अब भी जारी है। अब करीब ढाई माह से ओपीडी भी चल रही है। ऐसे में दोनों ओर व्यवस्था देखने से कुछ चीजें प्रभावित हो रही है। एनएमसीएच सुपरीटेंडेंट ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार कोविड और जनरल दोनों मरीजों की सुविधा में प्रबंधन के स्तर पर थोड़ा फर्क पड़ा है।

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केस वन

चंपा देवी, उम्र 45 वर्ष

सुलतानगंज, पटना

विभाग - ऑर्थो

समस्या - पैर के जोड़ों में दर्द।

इलाज के बाद डॉक्टर ने इन्हें दो प्रकार की टैबलेट और एक कैप्सूल पर्ची पर लिखा। इसमें से केवल एक दवा दर्द वाली इन्हें मिली। बाकी दवाएं इन्हें बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। उन्होंने बताया कि वे बहुत गरीब हैं और पति भी काम नहीं करते हैं। इस स्थिति में उन्हें बाहर से दवा खरीदना मुश्किल हो रहा है।

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केस टू

भोला राय, उम्र 45 वर्ष

उसफा, पटना

विभाग - आर्थो

समस्या - बांया हाथ एक्सीडेंट के बाद फ्रैक्चर हो गया था। वह अभी तक फुला हुआ है। इन्हें ऑर्थो डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर एसके सिंघा ने देखा और पांच प्रकार की दवाएं लिखी। इसमें केवल दर्द की दवा ही मिली। अन्य चार दवाएं नहीं मिलीं।

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केस 3

कमलेश राय, उम्र 40 वर्ष

हाजीपुर, वैशाली

विभाग - मेडिसीन

समस्या - इन्हें हाथ और चेहरे पर स्किन की बीमारी है। उन्हें सीनियर रेजिडेंट डॉ तलत फातिमा ने देखा और पांच प्रकार की दवाएं लिखी। इसमें से दो प्रकार की दवाएं मिल गईं जबकि तीन अन्य दवाओं के सामने दवा काउंटर पर एनए यानी दवा उपलब्ध नहीं है, मार्क कर दिया। इन्हें डॉक्टर ने जांच के लिए भी लिखा था। जिसमें रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें स्किन वार्ड में एडमिट होने की सलाह भी दी गई है।

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केस फोर

पूजा गुप्ता, उम्र 27 वर्ष

विभाग - टीबी एंड चेस्ट

समस्या - टीबी के शुरुआती लक्षण।

इन्हें डॉक्टर ने चार प्रकार की दवाएं लिखीं। लेकिन दवा काउंटर पर पहुंचने के बाद इनकी पर्ची पर तीन दवाओं के नाम पर एनए कर दिया गया। दवा काउंटर पर उनके पति सुजीत कुमार ने काउंटर पर कहा कि यदि टीबी जैसी बीमारी की दवा यहां नहीं तो फिर कहां मिलेगी, लेकिन उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया। इस बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने एमएस डॉ विनोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि काउंटर के अलावा टीबी की दवा अलग से कैंपस में ही मिलती है।

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कोट

शुरुआत में कोरोना जांच को लेकर ही पूरा फोकस रहा। अब ओपीडी शुरू हुई है। दवाओं की आपूर्ति के लिए बीएमएसआईसीएल को समय-समय पर सूचित किया जाता है। दवाओं की कोई किल्लत नहीं है। ऐसी शिकायत आई है तो एन्क्वायरी की जाएगी।

- डॉ विनोद कुमार सिंह मेडिकल सुपरीटेडेंट एनएमसीएच

वर्ष 2019 में रजिस्टर्ड पेशेंट की संख्या

ओपीडी - 463044

आईपीडी - 9739

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एक जनवरी से 15 मार्च तक रजिस्टर्ड पेशेंट

ओपीडी - 111208

आईपीडी- 2741

कोरोना डेडिकेटेड हॉस्पिटल बनने के बाद कोविड वार्ड में एडमिट पेशेंट की संख्या - 1964

कोविड केयर के बाद आठ अक्टूबर से ओपीडी फिर शुरू

आठ अक्टूबर से 15 दिसंबर तक रजिस्टर्ड पेशेंट -

ओपीडी - 31927

आईपीडी - 263