पटना (ब्यूरो)। ठंड में राजधानी पटना समेत पूरे प्रदेश में प्रदूषण का स्तर खराब है। पटना में एक्यूआई बढऩे की प्रमुख कारणों में एक वाहनों से निकलने वाले धुआं भी है। यही वजह है कि सरकार ने वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र (पीयूसी) बनवाना अनिवार्य किया हुआ है। पीयूसी नहीं बनवाने वाले वाहनों पर दस हजार रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान है। लेकिन अधिकारी ही इन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। सरकारी कार्यालयों में टॉप-टू-बॉटम अधिकांश अधिकारियों की गाडिय़ों की पीयूसी फेल मिलेगी। पुलिस प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन की कई गाडिय़ां ऐसी हैं जो नियमों का उल्लंघन करते हुए दिखती हैं। मोटर व्हीकल एक्टर में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट भी अनिवार्य कर दिया गया है। मगर शहर में अधिकारियों की गाडिय़ों में अभी भी पुराने नंबर प्लेट ही लगे हुए हैं। महाअभियान में भी इनको रोकने टोकने वाला कोई नहीं है, क्योंकि आम लोगों की यही चालान करते हैं तो इनका चालान कौन करेगा। सड़क सुरक्षा सप्ताह के पांचवें दिन दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सरकारी अधिकारियों की वाहनों की पड़ताल की तो यह सच सामने आया। पढि़ए रिपोर्ट

दृश्य एक
इंश्योरेंस है फेल
पटना के डीएम की गाड़ी संख्या बीआर 01 डी ए 0033 का निबंधन 11 मई 2017 को हुआ। एम परिवहन एप पर चेक करने पर पीयूसी तो 3 जून 2024 तक वैद्य है मगर इंश्योरेंस की वैद्यता 8 मई 2018 तक ही है। अगर डीएम साहब की गाड़ी में इंश्योरेंस नहीं है तो एक्सीडेंट होने पर थर्ड पार्टी क्लेम भी मिलना मुश्किल हो जाएगा। और नियम को पालन कराने वाले वाहन स्वामियों के वाहन में अगर ये हाल रहेगा तो पब्लिक में क्या मैसेज जाएगा।

दृश्य दो
पीयूसी फेल
पटना के एडीएम सप्लाई की गाड़ी डीएम कार्यालय में लगी थी। रिपोर्टर ने जब एम परिहवन एप में जाकर पड़ताल की तो गाड़ी संख्या बीआर 01 डी बी 0033 मई 2017 में रजिस्टर्ड है। पॉल्यूशन 22 नवंबर 2022 को ही फेल दिख रहा है। ऐसे में साहब पिछले एक साल से बिना पॉल्यूशन के ही चल रहे हैं? जबकि इस गाड़ी का इंश्योरेंस 19 सितंबर 2024 तक वैद्य है। इस संबंध में रिपोर्टर ने शहर के लोगों से चर्चा की तो सभी ने कहा कि नियम बनाने वाले के दर पे ही सभी नियम टूट रहे हैं।

दिश्य तीन
कहां है हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट
अगर आप से कहें कि सरकारी अधिकारी ही सिस्टम का धुंआ निकाल रहे हैं तो सुनकर आश्चर्य लगेगा। जिनके कंधे पर पूरा अंचल का जिम्मा रहता है उनकी गाड़ी में ही हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं है। पटना सदर के अंचलाधिकारी की गाड़ी संख्या बीआर 01 पी ई 1959, 22 जून 2013 से रजिस्टर्ड है। एम परिवहन एप में चेक करने पर इस गाड़ी में पॉल्यूशन और इंश्योरेंस नॉट एप्लिकेवल दिखता है.और तो और नंबर प्लेट भी सामान्य है।

दृश्य 4
डायल 112 के वाहनों में भी पॉल्यूशन नहीं
लोगों की सुरक्षा के शुरू हुई डायल 112 वाहन संख्या बीआर 01एचप 0164 इंश्योरेंस की जगह एनए लिखा है। जबकि पॉल्यूशन 14 अप्रैल 2023 तक ही वैद्य है। ऐसे में अगर सरकारी वाहनों में नियम का पालन नहीं होगा तो आम पब्लिक को नियम से विश्वास उठा जाएगा।

कुल 7 हजार वाहन हैं सेवा में
पटना डीटीओ कार्यालय के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विभिन्न सरकारी विभागों में तैनात शहर में तकरीबन सात हजार छोटे बड़े वाहन सरकारी सेवा में लगी है। जितने पुराने वाहन है किसी में भी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगी है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने 10 सरकारी वाहनों को चेक किया जिसमें से छह वाहनों में कागजी कमी दिखी।


सरकारी वाहनों में इंश्योरेंस की आवश्यकता नहीं है। पॉल्यूशन नहीं रहने पर जुर्माना लगता है। अगर किसी वाहन में पॉल्यूशन नहीं है तो चालान होगा।
- गौतम कुमार, मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर


जब अधिकारियों के वाहन में पीयूसी नहीं रहेगा तो आम पब्लिक अवेयर कैसे आएगा। सरकारी वाहनों में इंश्योरेंस और पीयूसी हमेशा अपडेट रहना चाहिए।
- सिमरन सिंह

नियम सबसे के लिए बराबर है। आम पब्लिक जब नियम तोड़ती है तो चालान कटता है। यही नियम अधिकारियों पर लागू होना चाहिए।
- ज्योति सिंह

कई बार जेब्रा क्रांसिंग पार करते ही चालान हो गया है। लेकिन शहर के जेब्रा कॉसिंग का हाल बदहाल है। ऐसे में विभाग को चाहिए कि पहले स्टॉपलेन और जेब्रा कॉसिंग को सही करा लें।
- मिलप सिंह

हेलमेट को लेकर विभाग की ओर से लगातार चालान कराया जाता है। मगर कई बार देखने को मिलता है कि अधिकारी बिना हेलमेट के ही घुमते रहते हैं। ऐसे अधिकारियों पर चालान क्यों नहीं होता।
- धीरज कुमार

कैमरे लगने के बाद आम पब्लिक से तो चालान के तौर पर करोड़ों रुपये वसूला गया है, मगर अधिकारियों की अगर बात करें तो एक-दो दर्जन ही होगा।
- रजनीश रोशन