- एनएमसी बिल के विरोध में आईजीआईएमएस और एम्स में ओपीडी से लेकर इमरजेंसी सेवा बाधित

- पीएमसीएच में कैंडिल मार्च निकालकर किया विरोध

PATNA : एनएमसी (नेशनल मेडिकल काउंसिल) बिल के विरोध में शुक्रवार को पटना के एम्स और आईजीआईएमएस में डॉक्टरों की हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला। ओपीडी से लेकर ऑपरेशन तक मरीजों को बस वेटिंग ही वेटिंग मिल रही थी। वहीं पीएमसीएच में पटना यूनिवर्सिटी के विभिन्न छात्र गुटों ने हड़ताल का समर्थन करते हुए परिसर में न सिर्फ पीएम नरेन्द्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री हर्षव‌र्द्धन के खिलाफ नारेबाजी की, बल्कि जूनियर डॉक्टरों ने कैंडिल मार्च निकाल कर एनएमसी बिल को लेकर विरोध जताया। इस दौरान इलाज के लिए दूसरे जिलों से आए मरीज डॉक्टरों के आने का इंतजार करते रहे मगर उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं था।

- इलाज के लिए इंतजार करते रहे मरीज

डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से आईजीआईएमएस के विभिन्न वार्डो में भर्ती मरीज भी इलाज के लिए इंतजार करते रहे। दूर दराज इलाज कराने आए मरीजों को सुनने वाला कोई नहीं था। हालांकि मरीजों का रजिस्ट्रेशन तो हुआ, लेकिन ट्रीटमेंट के लिए कोई नहीं मिला। सासाराम से अपनी पत्‍‌नी का इलाज कराने आए शेखर राय ने बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है। पत्नी गंभीर रूप से बीमार है, मगर इलाज तो दूर की बात, सुनने वाला भी कोई नहीं है। वहीं रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के डॉक्टरों ने बताया कि एनएमसी बिल के विरोध में ये हड़ताल हुआ हुआ है मांगे नहीं मानी गईं तो आगे भी हड़ताल जारी रहेगा।

-70 फीसदी ऑपरेशन टले

हड़ताल की वजह से एम्स में ओपीडी से लेकर ऑपरेशन थिएटर तक सन्नाटा पसरा रहा। इमरजेंसी सेवा पूरी तरह से ठप रही। हालांकि ओपीडी में पुराने मरीजों को देखा गया। सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट, इंर्टन, और यूजी स्टूडेंट्स ने मिलकर कार्य बहिष्कार किया। ऑपरेशन की अगर बात करें तो 70 फीसदी ऑपरेशन टले। हाजीपुर से अपने पिता का इलाज कराने आए चंदन ने बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से आज भर्ती नही लिया गया इसलिए प्राइवेट अस्पताल जा रहा हूं।

वर्जन

पहले से भर्ती सभी मरीजों का इलाज हुआ है। कुछ ऑपरेशन टले हैं मगर स्वास्थ्य सेवा बाधित नहीं हुई है।

पीके सिंह, डॉयरेक्टर एम्स, पटना

-पीएमसीएच : कैंडिल मार्च निकाला

पटना मेडिकल कॉलेज परिसर में जूनियर डॉक्टरों ने कैंडिल मार्च निकालकर हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का समर्थन किया और सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया। वहीं पटना यूनिवर्सिटी के एआईएसएफ के छात्र नेता सुशील कुमार ने अपनी टीम के साथ परिसर में बैनर पोस्टर लेकर एनएमसी बिल लागू होने का विरोध किया। मरीजों की मानें तो हड़ताल का समर्थन पीएमसीएच में डॉक्टरों के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया गया। वार्डों में डॉक्टरों ने कम विजिट किया। वहीं अस्पताल प्रशासन ने हड़ताल की बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

पीएमसीएच में कोई हड़ताल नहीं है। अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराया गया है।

डॉ। राजीव रंजन, अधीक्षक पीएमसीएच

- क्यों हो रहा एनएमसी बिल का विरोध

एनएमसी बिल को लेकर देशभर के डॉक्टरों के विरोध का दो मुख्य कारण माना जा रहा है। इसमें पहला है एक्जिट टेस्ट। बता दें कि अभी तक विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर देश में आने वाले छात्र ही इस टेस्ट को देते थे। लेकिन अब बिल पास होने के बाद एमबीबीएस छात्रों को भी यह टेस्ट देना होगा। दूसरा कारण साढ़े तीन लाख नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है जिसका विरोध डॉक्टर कर रहे हैं।