- फुटबॉल के प्रैक्टिस के लिए खिलाडि़यों को नहीं मिलती जगह

- एसोसिएशन को सुब्रोतो कप के आयोजन की जानकारी मीडिया से मिली

PATNA: बिहार में सुब्रोतो कप फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन पूर्णिया में क्9 - ख्फ् अगस्त तक होगा। आश्चर्य की बात है कि इसकी जानकारी न तो बिहार फुटबॉल संघ को है और न ही पटना फुटबाल संघ को। इसके बारे में जब आई नेक्स्ट ने पटना फुटबॉल संघ के सेक्रेटरी ज्वाला प्रसाद सिन्हा से बात की तो कहा कि हमें यह जानकारी आपसे मिल रही है। बिहार फुटबॉल एसोसिएशन के अधिकारियों से बात करने पर भी ऐसा ही जबाव मिला। नतीजा है कि अभी तक किसी को यह जानकारी नहीं है कि आखिर इसमें बिहार के कितने स्कूल पार्टिसिपेट कर रहे हैं और उसमें जिला स्तर पर टीम लिस्ट क्या है.जानकारी हो कि क्क् अगस्त को बिहार सरकार ने खेल कैलेंडर जारी किया था जिसमें यह खेलों के शेड्युल में सबसे पहले था। बीते वर्ष इस इवेंट में भागलपुर की टीम बेस्ट थी।

खेल के लिए न जगह और न ही पैसा

जानकारी हो कि यह इंटर-स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट है। यह पहले जिला स्तर पर फिर राज्य स्तर और इसमें चयनित खिलाड़ी नेशनल लेबल पर खेलते हैं। बिहार फुटबॉल एसोसिएशन के सेक्रेटरी इम्तियाज हुसैन का कहना है कि अभी जिला स्तर पर टीम की घोषणा नहीं की गई है और किस प्रकार से क्9 अगस्त से यह टूर्नामेंट आयोजित किया जा रहा है यह समझना कठिन है। वहीं, ज्वाला प्रसाद सिन्हा का कहना है कि अगर इतिहास पर गौर करें तो यहां फुटबॉल का एक भव्य इतिहास रहा है। यहंा कई फुटबॉल क्लब होते थे जिसमें कई चैम्पियन खेलते थे। उन्होंने कहा कि आज सरकार से कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा है।

खेलने के लिए जगह नहीं

ज्वाला प्रसाद ने बताया कि एक समय था जब पटना में विभिन्न फुटबॉल क्लब गांधी मैदान में खेल की प्रैक्टिस किया करते थे। लेकिन आज की तारीख में फुटबॉल खेलने के लिए माकूल जगह कोई नहीं है। गर्दनीबाद स्थित संजय गंाधी स्टेडियम में भी बड़े-बडे़ घास उग गए हैं। यही वजह है कि यहंा खेल का स्तर लगातार गिर रहा है। बीएन कालेज, साइंस कालेज, पटना फुटबॉल क्लब, सेक्रेटेरिएट, ट्रांसपोर्ट, होम गार्ड, बिस्कोमान, हाईकोर्ट आदि की टीमें खेला करती थीं। इसमें पटना फुटबॉल क्लब सबसे फेमस थी। इसकी स्थापना अर्जन अवार्डी सीपी सिंह ने की थी।

बहाल नहीं होते प्लेयर्स

खिलाडि़यों की बहाली अब नहीं हो रही है कंपनियों में एसबीआई, एसबीआई, पोस्टल, एफसीआई- इनकी टीमें कभी अच्छा खेला करती थीं, लेकिन न तो कंपनियां और न ही सरकार ही खेल को संरक्षण देने व खेल को जिंदा रखने के लिए खिलाडि़यों की बहाली नहीं कर रही है। खेल कोटा भी ये भूला चुके हैं। ऐसे में फुटबॉल जैसे खेल का भविष्य अंधकारमय है।

खेल कैलेंडर में सुब्रोतो कप शामिल है और क्9 अगस्त से पूर्णिया में होगा। यह जानकारी हमें मीडिया से मिली। सरकार के खेल विभाग से इस संबंध में कोई कम्यूनिकेशन नहीं है।

- ज्वाला प्रसाद सिन्हा, सेक्रेटरी पटना फुटबॉल एसोसिएशन