PATNA : बाढ़ में फंसे लोग अब दवा के लिए मोहताज नहीं रहेंगे। स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ के समय होने वाली बीमारियों के रोकथाम के लिए कमर कस ली है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी और सिविल सर्जन को बाढ़ से पहले अपने इलाकों में जलजनित बीमारियों के उपचार और दवा आदि की उपलब्धता स्वास्थ्य केन्द्रों में सुनिश्चित करने को निर्देश दिए हैं।

बढ़ जाती हैं बीमारियां

बिहार देश का सर्वाधिक बाढ़ प्रावित राज्य है। देश के कुल बाढ़ प्रावित क्षेत्र में से करीब 17 फीसद हिस्सा बिहार का है। देश के कुल बाढ़ प्रभावित आबादी में से 22 फीसदी बिहार की है। उत्तर बिहार की 75 फीसदी आबादी बाढ़ की त्रासदी झेलने को विवश है। प्रत्येक साल एक और दो नए जिले इसकी चपेट में आ जाते हैं। बाढ़ के समय में पीने के पानी की बड़ी समस्या होती है।

दूषित पानी के कारण लोग कई बीमारी से पीडि़त हो जाते हैं। इसके मद्देनजर विभाग द्वारा जलजमाव से घिरे इलाकों में पीने के पानी के छोटे स्रोतों को क्लोरिन टिकिया और बड़े स्रोतों को ब्लीचिंग पाउडर से शुद्ध किया जाएगा। इस काम में पीएचडीई विभाग को सहयोग भी लिया जाएगा। पानी के नमूने की जांच की जाएगी। कई बार दवाओं के आाव में मरीज के जान पर बन आती है।