PATNA: शायद आपको आज से 25 साल पहले का वह दौर याद हो, जब रिमझिम बारिश एक-एक हफ्ते तक पूरे शहर को भिगोती रहती थी। इस बारिश से गलियों में बाढ़ नहीं बल्कि चपाकल में पानी बहुत ऊपर आ जाता था। ग्राउंड वाटर बढ़ जाता था। आखिर रिमझिम बारिश की यह लड़ी क्यों टूट गई? जुलाई का पहला सप्ताह बीत चुका है लेकिन पटना में बारिश की बूंद तक नहीं गिर रही। लोग पसीने से तरबतर हो रहे हैं। ऐसे ही कई सवालों का जवाब तलाशा तो सामने आई क्लाइमेट चेंज की हकीकत। प्रदूषण और कंक्रीट के जंगल ने पटना में बारिश के शिड्यूल को बिगाड़ दिया है। यही कारण है कि अब कम समय में अधिक बारिश हो जाती है। आखिर कैसे राहत की बारिश आफत में बदल गई, पढि़ए आई नेक्स्ट की यह इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट।

1985 के बाद से नहीं हुई रिमझिम बारिश

मौसम वैज्ञानिक डॉ आरके गिरि की हाल ही में आई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि राजधानी पटना में 1985 में बारिश के महीनों में छह दिन मूसलाधार रिमझिम बारिश हुई थी। तब से आज तक रिमझिम मूसलाधार बारिश नहीं हुई। क्लाइमेट चेंज के कारण अब हैवी क्लाउड बनता है, जिससे कम समय में ही तेज बारिश हो जाती है।

इसलिए कम हो गई मूसलाधार बारिश

पटना में मूसलाधार बारिश के ट्रेंड के कमजोर पड़ने के कारणों का जिक्र इंटरगर्वनमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेंट चेंज की रिपोर्ट में किया गया है। इसमें बताया गया है कि क्लाइमेट चेंज का असर पटना में भी देखा जा रहा है। हरित क्षेत्र घटने, प्रदूषण बढ़ने और इससे भी कहीं अधिक दुनिया भर में तापमान में वृद्धि के कारण यह असर हो रहा है।

भारतीय मौसम वैज्ञानिक डॉ आरके गिरि ने अपने रिसर्च आर्टिकल में बताया है कि पटना में मूसलाधार, रिमझिम बारिश वाले दिनों की संख्या में साल दर साल कमी आ रही है । रिसर्च आर्टिकल 'द स्टडी ऑफ टेम्प्रेचर एंड रेनफाल ओवर बिहार रीजन' में उन्होंने वर्षा के चार क्राइटेरिया को आधार बनाते हुए यह बात सामने रखी। 24 घंटे में हुई बारिश को उन्होंने इस तरह बांटा।

यूं बदलता गया पटना का मौसम

पहले

-10-10 दिन तक रिमझिम बारिश होती थी।

-रिमझिम बारिश ग्राउंड वाटर बढ़ाती थी।

-धीरे-धीरे होने वाली बारिश का पानी जमा नहीं होता था।

-लगातार बारिश से तापमान में उतार चढ़ाव अधिक नहीं होता था।

अब

-लगातार पूरे एक दिन भी बारिश नहीं होती।

-तेज बारिश जमीन के सतह से ही नालियों में चली जाती है।

-तेज बारिश का पानी गलियों में बाढ़ ला देता है।

-बारिश फिर धूप और उमस से बीमारी अधिक हो रही है।

बीते 50 वर्षो के बारिश के डाटा के अध्ययन के आधार पर यह पता चलता है कि पटना में बारिश के दिनों की संख्या कम हो गई है।

डॉ प्रधान पार्थ सारथी, सेक्रेटरी इंडियन मेट्रोलॉजिकल सोसाइटी