पटना (ब्यूरो)। चार सौ रुपये किलो खोआ की मिठाई और वह भी हर पीस पर चांदी का वर्क। चांदी का वर्क, कागज के साथ जिसके प्रति 10 ग्राम की कीमत 140 से 180 रुपये है। बावजूद इसके एफएसएसएआइ (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडड् र्स अथारिटी आफ इंडिया) की मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट में राजधानी की सभी मिठाइयां मानक पर खरी उतरी हैं। इसमें उन दुकानों के भी नमूने शामिल हैं, जिनकी मिठाई की गुणवत्ता भौतिक जांच में ही खराब पाई गई थी और उसी समय उन्हें नष्ट करा दिया गया था। दशहरे-दीपावली के दौरान जिले से 64 नमूने लिए गए थे, उनमें से 59 की रिपोर्ट आई है और सिर्फ पांच ही अमानक मिले हैं। मानक पाई गई खाद्य सामग्रियों में टोमैटो व चिली सास, खुला राइसब्रान तेल, काली मिर्च और अरहर दाल ही थे। आश्चर्यजनक रूप से जिले की छोटी-बड़ी मिठाई दुकानों से लिए गए नमूने मानक पर खरे उतरे।

दीपावली में मिठाइयों की इतनी शिकायत फिर भी क्लीनचिट :

दीपावली के दौरान कई बड़ी दुकानों तक से खरीदारी करने वाले ग्राहकों ने गुणवत्ता खराब होने की शिकायत की थी। आलम यह था कि कई जगह इतनी पुरानी मिठाई बेची जा रही थी कि खोलने पर फफूंदी मिली। बावजूद इसके खाद्य संरक्षा विभाग की प्रयोगशाला में कोई कमी नहीं पाई गई।

अरहर दाल व काली मिर्च में सबसे ज्यादा मिलावट :

प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट के अनुसार हर घर की जरूरत अरहर की दाल में कई दूसरी दालों की मिलावट, अखाद्य रंगों का इस्तेमाल, गंभीर व हल्की खामियां मिली हैं। इसी प्रकार खड़ी व पिसी काली मिर्च में भी मिलावट की पुष्टि हुई है। पटनासिटी में रीपैङ्क्षकग कर जो राइसब्रान आयल बेचा जा रहा था, वह भी गुणवत्ता पर खरा नहीं उतरा.फतुहा में टोमैटो व चिली सास बनाने वाली कंपनी की क्वालिटी भी घटिया पायी गई है।