PATNA : 'जहां चाह वहां राह' की बात को चरितार्थ करने वाले जुनून के पक्के और जिद्दी होते हैं। इस लिस्ट में एक नया नाम बिहार की बेटी और अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी स्वीटी कुमारी का है। अपने अथक संघर्ष और जुझारुपन की वजह से उन्होंने व‌र्ल्ड रैंकिंग में यंगेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड पाकर प्रदेश और देश का नाम रौशन किया है। मूलत: पटना के बाढ़ अनुमंडल के ग्राम नवादा की रहने वाली है। सुविधा के अभाव और खेलकूद का जहां कोई माहौल नहीं था, वहां से उन्होंने शुरुआत की। न तो परिवार और न ही उसके दोस्त आदि ही इस खेल को खेलने के निर्णय से खुश थे। लेकिन रग्बी खेलने का निर्णय अडिग रहा और आज वही लोग स्वीटी की तारीफ करते नहीं थकते हैं।

एथलेटिक्स छोड़ रग्बी प्लेयर बनी

मात्र 19 वर्ष की उम्र में उन्होंने यह खास पहचान बनाई है। उन्होंने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि वह वर्ष 2010 से एक्टिव स्पोटर्स में हैं। तब वह एथलेटिक्स प्लेयर थीं। वर्ष 2014 से उन्होंने रग्बी खेलना शुरु किया। इसी वर्ष उनकी एक स्पोटर्स इवेंट के दौरान रग्बी फुटबॉल एसोसिएशन ऑफ बिहार के जनरल सेक्रेटरी पंकज ज्योति से हुई। उन्होंने कहा कि इस खेल में तेज और फुर्ती की जरुरत है। आपमें यह क्षमता है इसलिए आप इसे खेलना शुरु किया। इसके बाद से पंकज ज्योति ने स्वीटी को हर प्रकार की खेल निखारने में मदद की। यह स्वीटी के लिए टर्निग प्वाइंट था। स्वीटी के पिता दिलीप चौधरी एक प्राइवेट जॉब करते हैं जबकि मां आंगनबाडी सेविका है।

ओलंपिक में मेडल दिलाना लक्ष्य

स्वीटी ने कहा कि मैंने अब तक सात बार इंटरनेशनल लेवल पर इंडियन टीम का प्रतिनिधित्व किया है। इसमें हार भी मिली लेकिन हार के बाद अपनी कमियों को दूर किया और आज बेहतर स्थिति है। उन्होंने कहा कि अब तक तीन ब्रांज और एक सिल्वर मेडल जीतने में सफलता पायी है। एशियन रग्बी चैम्पियनिशप के बाद अब मेरा लक्ष्य है कि देश को ओलंपिक में मेडल दिलाएं।