- चार डॉक्टरों की टीम ने चार घंटे तक की सर्जरी

- न कहीं काटा, न सिलाई और हो गया ब्रेन का ऑपरेशन

- बिहार-झारखंड में पहली बार इंडोस्कोपी के जरिए हुआ ब्रेन का ऑपरेशन

- गीता देवी को अब भी विश्वास नहीं कि उसका ऑपरेशन हुआ है

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- चार डॉक्टरों की टीम ने चार घंटे तक की सर्जरी

- न कहीं काटा, न सिलाई और हो गया ब्रेन का ऑपरेशन

- बिहार-झारखंड में पहली बार इंडोस्कोपी के जरिए हुआ ब्रेन का ऑपरेशन

- गीता देवी को अब भी विश्वास नहीं कि उसका ऑपरेशन हुआ है

PATNA (21 Feb) : patna@inext.co.in

PATNA (21 Feb) : शहर के तीन न्यूरो सर्जन और एक ईएनटी सर्जन ने मिलकर बिहार-झारखंड में पहली बार इंडोस्कोपी की मदद से नाक के रास्ते ब्रेन का ऑपरेशन किया। पेशेंट के पीटूएट्री ग्लैंड में ट्यूमर हो गया था जिसे चार घंटे की सर्जरी के बाद निकाला गया। पेशेंट पूरी तरह ठीक है। चार घंटे के इस ऑपरेशन में पेशेंट के चेहरे पर एक भी कटने या ऑपरेशन का दाग नहीं था। क्योंकि इंडोस्कोपी की हेल्प से डॉक्टरों की टीम ने नाक के रास्ते ब्रेन से ट्यूमर को बाहर निकाल दिया। सीएनएस के डॉक्टर अशोक कुमार सिन्हा और डॉ। श्याम किशोर ने बताया कि न्यूरो सर्जरी में यह बड़ा कदम है। बिहार जैसी जगहों पर पहली बार इस तरह की सर्जरी हो रही है। दिल्ली और मुंबई में इस सर्जरी के लिए पेशेंट को पांच से सात लाख रुपए लगते हैं, जबकि पहली बार हमलोगों ने किया और पचास हजार रुपए लिए गए।

जाने लगी आंख की रोशनी तब आया ध्यान

फ्भ् साल की गीता देवी का ख्भ् साल की एज से ही मेंस बंद हो गया था। गीता ने उसे इग्नोर किया। इसके बाद धीरे-धीरे उसकी आंख की रोशनी जाने लगी। वो इसके लिए लगातार आई स्पेशलिस्ट से मिलती रही लेकिन बाद में डॉक्टरों ने न्यूरो सर्जन के पास रेफर किया। यहां डाक्टरों की टीम ने पहले सीटी स्कैन फिर एमआरआई करवाया जिसमें ब्रेन में ट्यूमर का पता चला।

ईएनटी स्पेशलिस्ट से की बात

सीएनएस के डॉक्टरों ने इस ऑपरेशन को ओपेन ब्रेन करने के बदले इंडोस्कोपी से करने की ठानी और इसके लिए एक टीम तैयार की गयी। इसमें डॉ। अनुज कुमार सिंह, डॉ। अशोक कुमार सिन्हा, डॉ। श्याम किशोर और ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ। ऋषि मणि को शामिल किया गया। टीम ने लगातार चार घंटे तक ऑपरेशन कर ट्यूमर को निकाल लिया। डाक्टरों ने इस सर्जरी को मेडिकल टर्म में सर्जरी इंडोस्कोपी ट्रांस नजल ट्रांस स्पेनोआइडल पीटूएट्री ग्लैंड सर्जरी बताया।