पटना(ब्यूरो)। पटना की कॉलोनियों में हर पल मौत का मेनहोल हादसे की दस्तक दे रहे हैं। लेकिन पटना नगर निगम के जिम्मेवार आम लोगों की शिकायत पर भी इसे अनसुना कर रहे हैं। जबकि मेनहोल हादसे को लेकर अलग-अलग वार्ड में पार्षदों के माध्यम से भी यह मामला उठ चुका है।
निगम क्षेत्र में करीब 47 हजार मैनहोल हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने आज पाटलिपुत्र अंचल में मैनहोल की स्थिति का रियलिटी चेक किया। इस रियलिटी चेक में पाया गया कि हर दस में से छह से सात मैनहोल खुले हैं। पाटलिपुत्र अंचल के निवासियों का कहना है कि उनके इलाकों में कई बार लोग एक्सीडेंट के शिकार भी हो चुके हैं। बाइक और कार भी क्षतिग्रस्त हुआ है, लेकिन अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है।

कहां क्या दिखा ?
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम सबसे पहले राजीव नगर रोड नंबर चार में पहुंची। यह सड़क मार्केट होते हुए एक कैंसर हॉस्पिटल की ओर जाती है। पूरे सड़क में कई जगहों पर मैनहोल खुला दिखा। इसके बाद एजी कॉलोनी और जेपी नगर वाली सड़क पर भी यही स्थिति दिखी। वहीं, प्रोफेसर कॉलोनी में भी कई जगह ये खुले और बिना ढक्कन के मिले।


मानसून से पहले ढकना था मैनहोल
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मैनहोल के खुले होने का मामला हाल ही में उठाया था। तब पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू ने कहा था कि मानसून से पहले सभी मैनहोल को ढंक दिया जाएगा। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। कमोबेश हर वार्ड और अंचल का मामला ऐसा ही है। पटना नगर निगम की शिथिलता का आलम यह है कि प्री मानसून की दस्तक के बाद भी मैनहोल को ढंकने का काम नहीं किया गया।

राजीव नगर हादसे से नहीं लिया सबक
राजीव नगर में पिछले साल एक खुले मैनहोल में एक बच्चे की गिरकर मौत हो गई थी। इस घटना के बाद भी पाटलिपुत्र अंचल के अधिकारियों ने कोई ठोस पहल नहीं की और अब भी कई जगहों पर मैनहोल खुले हैं । इस वजह से कहीं न कहीं हादसे होते रहते हैं। राजीव नगर, रोड नंबर 4 के निवासी अभिषेक कुमार का कहना है कि बच्चों को ऐसी सड़कों पर अकेले कोचिंग, ट्यूशन भेजने में डर लगता है, क्योंकि मैनहोल जगह- जगह खुले हैं

लोगों का आरोप, निगम नहीं सुनता
जयप्रकाश नगर निवासी पंकज कुमार ने बताया कि वे दो साल से इस नारकीय स्थिति को झेल रहे हैं। मैनहोल खुले होने की शिकायत की गई थी। जब ढक्कन नहीं लगा तो खुद के खर्चे से उसे ढंक दिया। लेकिन इसके बाद एक ट्रक के गुजरने के बाद वह टूट गया। इसके बाद से यहां पर महीनों से यह खुला पड़ा है। घर में छोटे बच्चे हैं और हमेशा ही किसी हादसे का डर बना रहता है। वहीं, सुनील राय का कहना है कि बारिश से पहले इस काम को खुद ही कर लेना चाहिए था। लोगों की बात निगम पदाधिकारी नहीं सुनते।