पटना (ब्यूरो)। समय पर कैश अवार्ड व छात्रवृत्ति नहीं मिलने, प्रशिक्षण के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने और खिलाडिय़ों की सीधी नियुक्ति में भेदभाव से लंबे समय से नाराज चल रही एथलीट सपना कुमारी ने झारखंड छोड़ बिहार का दामन थाम लिया है। एक सप्ताह पहले उन्होंने झारखंड एथलेटिक्स संघ से एनओसी लेकर बिहार से जुडऩे का निर्णय लिया है। पिछले एक दशक में 100 मीटर हर्डल दौड़ में दर्जनों नेशनल और इंटरनेशन मेडल जीतनेवाली सपना का नाम गोवा नेशनल गेम्स के लिए 1 अक्टूबर से शुरू हो रहे प्रशिक्षण शिविर के प्रशिक्षुओं में दर्ज किया गया है।

दर्जनों पदक जीत चुकी है सपना

घाटो, रामगढ़ की रहने वाली सपना कुमारी 2014 में साई सेंटर रांची में प्रशिक्षु के तौर पर जुड़ी। इसके बाद से उन्होंने 2016 से लेकर 2023 तक कई नेशनल और इंटरनेशनल स्पर्धाओं में राज्य व देश के लिए पदक जीती। इनमें प्रमुख रूप से-

1- 2017 में नेशनल जूनियर एथलेटिक्स में नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ गोल्ड

2- 2018 कोलंबो में सैफ एथलेटिक्स में गोल्ड

3- 2018 फेडरेशन कप में गोल्ड

4- 2022 नेशनल एथलेटिक्स में सिल्वर

5- 2023 इंडियन ग्रैंड प्रिक्स में सिल्वर

6- 2023 फेडरेशन कप में ब्रांज शामिल है।

2018 में इंजूरी के बाद की वापसी

सपना एक इवेंट के दौरान 2018 में गंभीर रुप से घायल हो गई थी। तीन साल तक ट्रैक से दूर सपना ने शानदार वापसी की और ट्रैक पर दोबारा अपना जलवा दिखाया। सपना अभी रांची में किराए के मकान में रहकर मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा स्टेडियम में अभ्यास करती हैं।

नेशनल में जीती थी ब्रांज

सपना गुजरात के 36वें राष्ट्रीय खेलों में कांस्य पदक जीती थी। इससे जुड़ा कैश अवार्ड भी सपना को अबतक नहीं मिल पाया है। सपना बताती हैं कि उन्होंने अपने राज्य के लिए स्पोट्र्स कोटे से सीआरपीएफ में मिली नौकरी को छोड़ दी क्योंकि उनकी पोस्टिंग झारखंड के बाहर किया जा रहा था।

बिहारी होने का कह नहीं दी नौकरी

सपना ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बात करते हुए बताया कि जब मुझे मेडल मिलते थे तो मैं झारखंड की बेटी कहलाती रही। जब मैंने नौकरी, सुविधा व इनाम की बात की तो मेरे सारे डॉक्यूमेंटस बिहारी होने का कह कर रिजेक्ट कर दिया जाता रहा। क्योंकि अविभाजित बिहार के समय से मेरे पूर्वज रामगढ़ में आकर बसे थे। जबकि मेरे पिता से लेकर मुझ तक सबका जन्म, शिक्षा-दीक्षा झारखंड में हुआ है।

डीजी का खेल के प्रति समर्पण खींच लाया

आज बिहार की प्रतिभाएं किसी से नहीं छुपी। बिहार से हाल के दिनों में कई खेलों में अपनी अलग पहचान बनाई है। जिसका सबसे जीवंत उदाहरण नीडजैम रहा। वहीं बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरण का खेल व खिलाडिय़ों के प्रति लगाव ने मुझे घर वापसी को मजबूर कर दिया। उनके बारे में मैंने सोशल मीडिया से जाना और उनसे मैंने संपर्क किया। उन्होंने जैसे मेरा वेलकम किया वह पल में कभी भूल नहीं सकती।

'सपना बिहार की ही बेटी है। उसके पूर्वज यहीं से ही हैं। उसके जैसी प्रतिभा की हमें भी जरूरत है। घर की बेटी जब वापस आना चाहती थी तो मैं कैसे न कहता। मुझे पूरा विश्वास है सपना बिहार के लिए नेशनल हो या इंटरनेशनल मेडल लेकर आएगी।'

- रविंद्रन शंकरण, महानिदेशक, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण