पटना (ब्यूरो)। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या आज आम सी होती जा रही है, खास तौर पर महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है। इसके पीछे बड़ी वजह उनका खान-पान भी है। अधिकांश स्ट्रीट फूड का सेवन महिलाएं ही कर रही है और उनमें कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो जिसका शरीर पर बुरा असर पड़ता है। सॉस, मसाले, स्वाद बढ़ाने वाले फ्लेवर और मैदा से तैयार खाद्य पदार्थ इनमें विशेष रूप से शामिल है। वल्र्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे के मौके पर वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ। अमुल्य कुमार ने बताया कि खान-पान में सावधानी बहुत जरूरी है। ऐसे फूड आइटम जिसमें प्रीजर्वेटिव का यूज होता है वे भी बहुत नुकसानदेह है। ये खाने के पोषक तत्व से इस प्रकार से जुड़े होते हैं कि वे शरीर में पोषक तत्व के साथ ही बाहर आते हैं। इस वजह से शरीर को जो पोषण मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाता है। इसलिए हेल्दी और बैसेंस डाइट आज सभी के लिए पहले भी ज्यादा जरूरी हो गया है।

नियमित एक्सरसाइज करें
ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से हड्डियों की सघनता यानि डेंसिटी कम हो जाती है। हड्डी कमजोर हो जाता है और कमजोर हिस्से के कारण दैनिक कामकाज भी बाधित हो जाता है। इसलिए हड्डी रोग विशेषज्ञों की सलाह है कि वे नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और इसे अपने रूटीन में इस प्रकार शामिल करें जैसे सुबह उठकर मुंह-हाथ धोना आदि।

जागरूकता अभियान चलाया गया
वल्र्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे के मौके पर पटना, यारपुर स्थित अक्षत सेवा सदन में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका आयोजन अक्षत सेवा सदन और लायंस पाटलिपुत्र आस्था द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें डॉक्टरों के द्वारा इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। इस आयोजन का एक ही लक्ष्य था कि ऑस्टियोपोरोसिस से लोगों को आजाद करने के लिए जागरूक किया जाए। इस मौके पर चीफ गेस्ट और एमएलसी निवेदिता सिंह ने कहा कि सेहतमंद रहने के लिए संतुलित आहार लें। साथ ही विटामिन डी को अवशोषित करने में अक्षमता के कारण भी ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है।

फैक्चर की संभावना
डॉ। अमूल्य कुमार सिंह, सेक्रेटरी ग्लोबल ऑथोपेडिक फोरम ने कहा कि जागरूकता जरूरी है। बोन मास में कमी आने की स्थिति को हम ऑस्टियोपोरोसिस के रूप में पहचानते हैं। ऐसे में हड्डियां नाज़ुक और कमजोर हो जाती हैं, और थोड़े से भी खिंचाव या भार से फ्र क्चर होने की संभावना बनी रहती है। ऑस्टियोपोरोसिस में मानव शरीर कूल्हे के फ्रैक्चर अंग सबसे अधिक प्रभावित होता है, कूल्हे के फ्रैक्चर, ऑस्टियोपोरोसिस के सबसे गंभीर परिणामों के लिए जिम्मेदार हैं। उम्र बढऩे, एस्ट्रोजन की कमी, कम विटामिन डी या कैल्शियम लेने और कुछ विशेष बीमारियों की वजह से उन घटकों की मात्रा कम हो जाती है, जो हड्डियों के घनत्व को बनाए रखते हैं।

महिलाओं में ज्यादा मामले
अल्का रानी, हेड फिजिकल मेडिसीन एंड रिहैबिलिटेशन, पीएमसीएच ने कहा कि पिछले एक दशक में जिन बीमारियों के मामले सबसे ज्यादा बढ़ते हुए देखे गए हैं, डायबिटीज उनमें से एक है। जबकि डॉ। नीता नाथ, महिला रोग विशेषज्ञ ने कहा कि महिलाओं में मासिक बंद होने के बाद पुरुषों की तुलना में हड्डी ज्यादा कमजोर हो जाती है। महिलाओं को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। सामान्य तौर पर, अस्थि बचपन और किशोरावस्था के दौरान सबसे तेजी से बनता है, और 30 की उम्र के बीच में अपने चरम पर पहुंच जाता है। लगभग 40 वर्ष की आयु से, अस्थि द्रव्यमान का नुकसान दिखने लगता है, एस्ट्रोजेन कम होने के कारण 40 के करीब पहुंचने वाली महिलाओं में नुकसान अधिक तेजी से होता है।