पटना (ब्यूरो)।पटना पुलिस ने ऐसे ही साइबर ठगों के गिरोह का भंडाफोड़ करने के बाद आर्थिक अपराध इकाई के सहयोग से सरगना तक पहुंचने की कवायद में जुट गई है। गिरोह का सरगना दिल्ली में ही रहता है। उसे किडनी की बीमारी है, जिसके कारण समय-समय पर वह डायलिसिस करवाता है। हालांकि, गुर्गों को उसके घर का पता नहीं है। उसने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर नागलोई इलाके में सिक्योरिटी एजेंसी के नाम पर ऑफिस ले रखा था, जहां जालसाजी का प्रशिक्षण दिया जाता था। उसने ही गिरफ्त में आए गुर्गों को चाइनिज जैमर खरीद कर दिया था। इसकी मदद से दो सौ मीटर की परिधि में रहे फोर जी मोबाइल सेट से नेटवर्क गायब हो जाता है। थानेदार धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि सरगना के नाम और उसके बारे में कई अहम जानकारी हासिल हुई है। पुलिस उसे जल्द गिरफ्तार कर लेगी।
नए लड़कों को देनी थी ट्रेनिंग
गिरफ्तार गुर्गों ने बताया कि सरगना ने विभिन्न स्थानों पर पोस्टर लगा कर नौकरी के लिए इच्छुक लोगों को संपर्क करने को कहा था। विज्ञापन पर सिर्फ मोबाइल नंबर लिखा था। कॉल करने पर इच्छुक लोगों को कार्यालय में बुलाया जाता। इसके बाद सरगना उनसे पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी लेता और पूछता कि क्या कम समय में अमीर बनना चाहते हो? यदि अभ्यर्थी झांसे में आ जाता तो उसे साइबर अपराध की ट्रेनिंग दी जाती। सरगना 12-14 गुर्गों का झुंड बना कर अलग-अलग राज्यों में भेजता था। खास कर वैसी जगह जहां कोई बड़ा कार्यक्रम चल रहा हो और लोगों की भीड़ रहे।
नकली नोट का भी था कारोबार
गिरोह के कुछ सदस्य असली से हू-ब-हू मिलते नकली नोट देने का दावा कर भी लोगों को ठगा करते थे। लोगों को वे नकली बता कर असली नोट देकर बाजार में भेज देते। जब झांसे में आया व्य1ित उस नोट को बाजार में चलाने में सफल हो जाता तो उससे रकम लेकर फर्जी नोटों की गड्डी थमा देते थे। उस गड्डी के ऊपर और नीचे असली नोट लगे होते और बीच में नोटों की साइज का कागज लगा देते थे। गिरोह का सरगना दिल्ली का रहने वाला है। उसे किडनी की बीमारी है। रोज उसका डायलिसिस होता है। उसे गिरफ्तार करने के लिए पटना पुलिस आर्थिक अपराध इकाई की मदद लेगी। जैमर भी सरगना ने ही खरीद कर गुर्गों को दिया था.