पटना (ब्यूरो)। अगर आपके बच्चे को भी चलने-फिरने में परेशानी हो रही है। चलते समय बार-बार गिर जा रहा है तो आपको उसे डॉक्टर से जरूर दिखाना चाहिए, क्योंकि पटना में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीडि़त बच्चों की संख्या में दिन प्रति-दिन इजाफा हो रहा है। आनुवांशिक डिसैबिलिटी के लक्षण बच्चों में जन्म के समय नजर नहीं आते मगर जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है बीमारी साफ नजर आने लगती है। पटना के आईजीआईएमएस के न्यूरोलॉजी विभाग में प्रति दिन एक दो मामले आ रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों की माने तो बीमारी के लक्षण गर्भ धारण के 11 सप्ताह के बाद पता चल जाते हैैं। बीमारी जन्म के बाद ही पता चलती है। पढि़ए रिपोर्ट।

आईजीआईएमएस में हर दिन आ रहे हैं केस

आईजीआईएमएस के न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ। प्रो। अशोक कुमार ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मामले तकरीबन हर दिन आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जन्म के दो साल के भीतर बच्चों में बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं। बच्चों को चलने में समस्या होती है। बच्चा बार-बार गिर जाता है। कई मामले ऐसे भी मिल रहे हैं जो दस से ग्यारह साल में पता चल रहे हैैं। ऐसे बच्चों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हंै। इस बीमारी की दवा नहीं होने के चलते समुचित इलाज नहीं हो पाता है। इस तरह के बच्चे को एक्सरसाइज से ही लाभ हो सकता है।

मध्य प्रदेश की तरह पटना में भी हो सकती है घटना
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लगातार बढ़ रहे मामले और समुचित इलाज नहीं होने के चलते पैरेंट्स को चिंतित कर दिया है। पिछले दिनों 25 जनवरी को मध्य प्रदेश के विदिशा में बीजेपी पार्षद संजीव मिश्रा ने दो बेटों और पत्नी के साथ जहर खाकर खुदकुशी कर ली थी। खुदकुशी से पहले संजीव ने अपने एफबी वाल पर लिखा था कि ईश्वर दुश्मन के बच्चों को भी न दें यह बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी। बताते चलें कि ये एक जेनेटिक बीमारी है इसका कोई इलाज नहीं है। इसमें मनुष्य की शक्ति क्षीण हो जाती है। मसल्स कमजोर होने के साथ सिकुडऩे लगते हैैं। ऐसी बीमारी से पीडि़त बच्चों एवं परिवार के लोगों का मनोबल बढ़ाएं। नहीं तो विदिशा की तरह पटना में भी घटना हो सकती है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से पीडि़त बच्चों के श्रद्धांजलि के लिए पटना के गांधी मैदान में 6 फरवरी को श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन होगा। जिसमें बच्चों के इलाज के लिए सरकारी खर्च पर विदेश भेजने की मांग की जाएगी।