-माता-पिता, दो बेटों और एक बेटी ने कर ली आत्महत्या

SUPAUL: गरीबी और बदनामी से परेशान पूरा परिवार खाना खाने के बाद नए कपड़े पहनकर एक साथ फांसी लगा ले, इस पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा है लेकिन ऐसा हुआ है। सुपौल के राघोपुर के गद्दी गांव निवासी मिश्री लाल साह (52) ने 5 सदस्यीय परिवार के साथ फांसी लगा ली। सुसाइड से पहले पूरे परिवार ने नए कपड़े पहने थे। खाना खाया था। मिश्री लाल की पत्नी रेणु देवी (44), बेटी रोशन कुमारी (15) और फूल कुमारी (8) के साथ पुत्र ललन कुमार (14) का शव कई दिनों तक घर में फांसी के फंदे से लटका रहा। घर से दुर्गध आने के बाद पड़ोसियों ने सैटरडे को पुलिस को सूचना दी। 6 मार्च को परिवार के लोगों को ग्रामीणों ने देखा था। इसके बाद की एक्टिविटी का कोई पता ग्रामीणों को नहीं चल सका।

समाज से दूर था पूरा परिवार

मिश्रीलाल साह के परिवार के लोग समाज से दूर रहते थे। सैटरडे 6 मार्च को मिश्रीलाल को लोगों ने आखिरी बार देखा था। वे डीलर से 70 किलो चावल ले गए थे। अपने हिस्से के गेहूं का उठाव नहीं किया था। एसपी मनोज कुमार पहुंचे और जांच-पड़ताल की। एफएसएल टीम जांच में लगी है।

पहने थे नए कपड़े

सुसाइड से पहले परिवार के सभी मेंबर्स नए कपड़े पहने थे। आंगन में जूठे बर्तन गवाही दे रहे थे कि मरने से पहले खाना बना था। इन लोगों ने एक हरौत बांस के सहारे फांसी लगाई। कुछ दिनों के बाद जब शव फूल गया तो बांस थोड़ा मुड़ गया। पुलिस आने पर भी सभी के पैर जमीन से ऊपर ही थे।

मेन गेट पर लगा था ताला

मिश्रीलाल के घर के मेन गेट पर ताला लगा था। पुलिस अनुमान लगा रही है कि ताला लगाने के बाद ये लोग दूसरे गेट से अंदर गए होंगे। फिर दोनों दरवाजों की कुंडी अंदर से बंद की। इसमें वह कमरा भी शामिल है, जिसमें परिवार ने सुसाइड की।

बंद हो गई आमदनी

मुखिया मु। तस्लीम, सरपंच युवराज मंडल समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि आíथक तंगी के कारण ही परिवार ने यह कदम उठाया। शारीरिक रूप से कमजोर होने और जीविका के साधनों की कमी से मिश्रीलाल परेशान थे। कुछ दिन तक रिक्शा चलाया। ई-रिक्शा के चलने के बाद रिक्शे से आमदनी बंद हो गई। फिर सेकेंड हैंड आटा चक्की लगवाई और सेकेंड हैंड ऑटोरिक्शा भी खरीदी। इन दोनों में भी घाटा हुई। तब ये ईट-भट्ठों के मजदूर से अधाजला कोयला खरीदकर बेचने लगे। बाद में नई तकनीक आने से ईट-भट्ठों में कोयले के चूर्ण का यूज होने लगा। इस कारण ये काम भी बंद हो गया। इस बीच ईट-भट्ठे पर काम करने वाले यूपी के एक मजदूर के साथ 20 साल की बेटी ने भागकर शादी कर ली। उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद मिश्रीलाल व उनके परिवार ने खुद को घर में कैद कर लिया। समाज से ये लोग कटने लगे। ग्रामीण बताते हैं कि मिश्रीलाल पड़ोसियों से भी बातचीत भी नहीं करते थे।

15 से साढे 3 कट्ठा बची जमीन

पिछले दो वर्ष से मिश्रीलाल अपने हिस्से की 15 कट्ठा जमीन धीरे-धीरे बेचकर गुजारा कर रहे थे। मिश्रीलाल तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। तीनों भाई पिछले 12 वर्ष से अलग-अलग घर बनाकर रह रहे थे। दो भाइयों रामकिशुन साह और विशुनदेव साह में पांच कट्ठा जमीन बड़े भाई रामकिशुन ने ही खरीदी थी। अब मिश्रीलाल के पास बांसबाड़ी और घर को मिलाकर साढ़े तीन कट्ठा जमीन बची थी। भाई बांसबाड़ी बेचने का विरोध कर रहे थे। मुखिया ने बताया कि मिश्रीलाल और उनकी पत्नी का जॉब कार्ड बना हुआ था। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए भी नाम प्रस्तावित था। जबकि कुछ ग्रामीणों ने दबी जुबान बताया कि मिश्रीलाल नशे के भी आदी थे। बेटी के चले जाने के बाद समाज के तानों से काफी परेशान थे। अवसाद में चले गए थे। इस कारण भाइयों के घर भी नहीं जाते थे।

प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का लगता है। एफएसएल की टीम को ऐसा अंदेशा है। पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा। सामाजिक रूप से यह परिवार अपने भाइयों एवं ग्रामीणों से संपर्क कम रखता था। आर्थिक रूप से साधनविहीन था। मजदूरी कर जीवन चला रहा था। एक लड़की दो साल पहले अपने मन से शादी कर ली थी। इसके बाद पूरा परिवार अंतर्मुखी हो गया। हर बिंदु पर घटना की जांच हो रही है।

-मनोज कुमार, एसपी, सुपौल