पटना (ब्यूरो)। एक बार फिर भागलपुर दहल उठा है। इस बार पटाखा बनाने और बेचने वाले के घर मेंं विस्फोट से 14 की मौत हुई है। गुरुवार की देर रात हुआ विस्फोट इतना जोरदार था कि चार मकान ध्वस्त हो गए। मलबे से फ्राइडे की शाम तक 14 शव निकाले गए। गंभीर रूप से घायल 10 लोग विभिन्न अस्पतालों में एडमिट है। इस मोहल्ले में कई घरों में पटाखा बनाया जाता है। एफएसएल की टीम धमाके में आमोनियम नाइट्रेट और सल्फर के यूज की बात प्रारंभिक जांच में कही है। मृत लीलावती देवी के घर में 3 पीढिय़ों से पटाखा बन रहा था, जबकि उनके पास कोई वैध लाइसेंस नहीं है।

2002 में भी हुई थी 4 की मौत
गुरुवार को जिस घर में विस्फोट हुआ, उसके बगल में ही 2002 में भी ऐसा ही विस्फोट हुआ था, जिसमें 4 की मौत हुई थी। 2002 वाले विस्फोट में एक परिवार के चार सदस्यों की मौत हुई थी, उसी परिवार के बड़े सदस्य महेंद्र मंडल की गुरुवार के विस्फोट में मौत हो गई।

रैपर और केमिकल बरामद
राज्य के डीजीपी एसके सिंघल ने प्रारंभिक जांच के आधार पर बताया कि एफएसएल की टीम को वहां से पटाखे के ऊपर लगाने वाला रैपर, प्लास्टिक के चमकीले शीट और अमोनियम नाइट्रेट, सल्फर आदि केमिकल मिलाकर बनाया गया बारूद मिला था। इस घटना के बाद स्थानीय थानेदार को सस्पेंड कर दिया गया है। बिहार पुलिस ने एटीएस को जांच की जिम्मेदारी दी है। अन्य एजेंसियां भी विस्फोटक की खरीद-बिक्री समेत सभी मुद्दों पर जांच में जुटी हैं।

दो किमी तक महसूस हुए झटके
काजवलीचक स्थित नवीन आतिशबाज के घर गुरुवार की रात विस्फोट हुआ। घर के निचले तल में लहसुनिया बम, सुतली बम, डब्बा बम जैसे पटाखे बनते थे। इन्हें बनाने के लिए बड़ी मात्रा में विस्फोटक रखे रहते थे। माना जा रहा कि इन्हीं के गलत मिश्रण की वजह से विस्फोट हुआ। तीव्रता इतनी थी कि दो मंजिले मकान के अलावा तीन और मकान ध्वस्त हो गए। घटनास्थल से दो किलोमीटर की परिधि में आने वाले मकान में मौजूद लोगों ने तेज झटके महसूस किए। चार मकानों के मलबे में लोग दबे थे। पुलिस बल और स्थानीय लोगों की मदद से निकाला गया। शुक्रवार शाम तक 33 ट्रक मलबा निकालने जाने के बाद भी जगह साफ नहीं हो पाई थी।

पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
बिहार के डीजीपी ने बताया कि इस हादसे में मृत महेंद्र मंडल के घर 24 अक्टूबर, 2002 को भी शक्तिशाली विस्फोट हुआ था, जिसमें उनके भाई सुरेश मंडल समेत परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई थी। महेंद्र मंडल के घर में भी पटाखा निर्माण किया जाता था। एक साल तक अनुसंधान के बाद पुलिस ने 2003 में चार लोगों की मौत की जानकारी देते हुए फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। उनकी पड़ोसी लीलावती देवी के मकान में इस बार घटना में हुई। यह मकान उन्होंने कुछ साल पहले मोहम्मद आजाद को बेच दिया था, लेकिन किराएदार के रूप में परिवार के चार सदस्यों के साथ वहां रह रही थीं। मो। आजाद ग्रिल बनाने का काम करते हैं। विस्फोटक कहां से लाया जाता है, यहां कैसे बन रहा था, कौन खरीदार हैं आदि सवालों के जवाब के लिए जांच चल रही है।

इनकी हुई मौत
शीला देवी, नंदिनी देवी, प्रियांशु कुमार, गणेश प्रसाद ङ्क्षसह, अयांश कुमार, आरती कुमारी, लीलावती देवी, राहुल कुमार उर्फ रोहित, उर्मिला देवी, ङ्क्षपकी देवी, मून कुमार, महेंद्र मंडल, राजकुमार साह, सुनील मंडल उर्फ संजय मंडल उर्फ गोरका।

ये हुए घायल
सुमित कुमार, नवीन मंडल, शीला देवी, जया देवी, सोनी देवी, वैष्णवी कुमारी, राखी कुमारी, आयशा कुमारी, प्रणव कुमार, मुहम्मद बशीर।