- एनआईएमए की बैठक में बंद आयुर्वेदिक कॉलेज का उठा सवाल

PATNA :

बिहार में शुरू से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्रचलित और लोकप्रिय रहा है। लेकिन वर्तमान में राज्य के 5 राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में से केवल दो का ही संचालन हो रहा है। सभी आयुर्वेदिक कॉलेज के संचालन नहीं होने से कोविड-19 के दौर में आयुष चिकित्सा पद्धति से इलाज प्रभावित हुआ है। यह मामला रविवार को राजकीय आयुर्वेद कॉलेज एवं अस्पताल, कदमकुआं सभागार में एनआईएमए (नीमा) की बैठक में उठाया गया। बिहार के राज्य कार्यकारिणी की बैठक डॉ अरुण कुमार की अध्यक्षता में हुई। इससे पहले भगवान धन्वंतरि की वंदना एवं माल्यार्पण के उपरांत बैठक के कार्यो की समीक्षा की गई।

बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ विजय शंकर दुबे सुपरिटेंडेंट, (राजकीय आयुर्वेद कॉलेज अस्पताल) ने हिस्सा लिया। साथ ही संगठन की महत्ता पर प्रकाश डाला। एनआईएमए बिहार महासचिव डॉ आलोक कुमार ने इस कोविड महामारी में आयुर्वेद के प्रचार प्रसार पर विस्तार से चर्चा की।

सरकारी उपेक्षा की समस्या

जानकारी हो कि वर्तमान में पटना और बेगूसराय में ही राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल का संचालन हो रहा है इसमें बीते 1 वर्ष काफी जद्दोजहद के बाद बेगूसराय के कॉलेज का संचालन शुरू किया गया, लेकिन अभी भी भागलपुर बक्सर और दरभंगा के आयुर्वेदिक कॉलेज बंद पड़े हैं। सूत्रों ने बताया कि कुछ कॉलेजों के संचालन की कोशिश हुई है लेकिन सरकार का रवैया उपेक्षापूर्ण है। सूत्रों ने बताया कि सरकार यदि चाहे तो सभी कॉलेजों का एक साथ संचालन किया जा सकता है। राज्य में आयुष निदेशालय और स्वास्थ्य विभाग को सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

शिक्षकों की कमी से चिंता

एनआईएमए की बैठक में डॉ अरविंद चौरसिया ने आयुर्वेद के सर्वांगिक विकास के लिए बंद पड़े आयुर्वेद कॉलेज को जल्द से जल्द खोलने के लिए सरकार से मांग करने का भरोसा दिलाया। उन्होंने चिंता व्यक्त किया कि बिहार में संचालित दो आयुर्वेद कॉलेज में अभी भी बहुत शिक्षकों की कमी है। सीसीआईएम कभी भी यहां संचालित कोर्सेज पर प्रशन चिन्ह लगा सकती हैं। डॉ प्रेमलता अध्यक्षा, महिला प्रकोष्ठ एनआईएमए बिहार ने प्रत्येक जिले में महिला फोरम निर्माण पर जोर दिया। डॉ अनिल विश्कर्मा ने संगठन के आय-व्यय का व्योरा पेश किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुधीर, सचिव एनआईएमए पटना ने व्यक्त किया।

बैठक में विभिन्न जिला इकाई के पदाधिकारियों के साथ साथ डॉ एन। पी.प्रियदर्शी, डॉ रविन्द्र गुप्ता, डॉ रमेश, डॉ रवि प्रकाश, डॉ मणि भूषन, डॉ भास्कर, डॉ सुधा, डॉ मृत्युंजय सहित अनेकों चिकित्सकों ने हिस्सा लिया।