PATNA: पहाड़ का सीना चीरकर रास्ता बनानेवाले 'माउंटेन मैन' एक बार फिर चर्चा में हैं। ख्ख् वर्षों की अथक मेहनत से उन्होंने गहलौर (गया)के लोगों के लिए रास्ता बनाया था। अब सरकार उनके सम्मान में उनके गांव तक रेल लाइन बिछाएगी। स्टेशन बनाएगी। नाम हो सकता है दशरथ मांझी स्टेशन। एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा करते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि वे गहलौर तक रेल का विस्तार चाहते हैं। वे देखेंगे कि क्या वहां तक रेल लाइन बिछाई जा सकती है।

जब पैदल ही पहुंच गए दिल्ली

गहलौर के लोगों की मानें तो घोर गरीबी में जीने वाले दशरथ के हौसले भी पहाड़ जैसे अटल थे। जब इंदिरा गांधी गया आईं थी तो उनसे भी दशरथ ने पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने की गुहार लगाई थी। लेकिन बात नहीं बनी। आखिरकार उनसे मिलने के लिए दशरथ ने दिल्ली का रुख किया। ट्रेन पकड़ा। लेकिन टिकट नहीं थे। नतीजतन टीटी ने ट्रेन से उतार दिया। लेकिन मांझी भी धुन के पक्के थे। गया से रेल लाइन पकड़ी और किनारे-किनारे चलते-चलते दिल्ली पहुंच गए।

कम हो गया ब्0 मील का फासला

जो लोग गहलौर को जानते हैं उन्हें पता होगा कि गहलौर के लोगों की जरूरत की हर छोटी बड़ी चीज वजीरपुर के बाजार में मिलती थी। लेकिन दिक्कत ये थी कि गहलौर और वजीरपुर के बीच ब्0 मील का फासला था। दशरथ इसी फासले को कम करना चाहते थे। काफी जददोजहद के बाद भी बात नहीं बनी तो खुद ही पहाड़ का सीना चीर रास्ता बनाने का बीड़ा उठाया। ख्ख् साल तक छेनी और हथौड़ी लेकर अकेले ही जुटे रहे। और फिर वो दिन आ ही गया जब गहलौर से वजीरपुर का फासला घट कर ख् किमी हो गया। मांझी के इसी हौसले को देखते हुए 'प्रभ'ु ने उन्हें भगीरथ कहा है। अभी उनके गांव का सबसे नजदीकी स्टेशन जैतियां है, जो 8 किलोमीटर दूर है गहलौर से। अब भगीरथ यानी दशरथ यानी माउंटेन मैन के गांव ट्रेन चलेगी। आज दशरथ होते तो बहुत खुश होते।