पटना (ब्यूरो)। नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल की व्यवस्था इन दिनों बेपटरी हो गयी है। यहां की इमरजेंसी से लेकर विभाग, वार्ड तथा सेंट्रल पैथोलाजी तक में डाक्टर से लेकर कर्मी तक सुरक्षा कारण से अपनी दोपहिया वाहन खड़े करते हैं। अस्पताल परिसर में बेतरतीब खड़े वाहनों से एंबुलेंस व मरीज को लेकर आने वाले अन्य वाहनों का रास्ता रुक जाता है। गर्मी में इन वाहनों से बड़ा हादसा होने का डर है। अचानक आग लगने या किसी अनहोनी पर भगदड़ मची तो मरीज, डाक्टर, कर्मी, स्वजन का सुरक्षित निकल पाना असंभव होगा।
अनियंत्रित हुए इस हालात से उत्पन्न होने वाली समस्या अब गंभीर हो चुकी है। अधीक्षक, कई उपाधीक्षक, अस्पताल व स्वास्थ्य प्रबंधक होने के बावजूद अस्पताल में समस्याएं घटने के बजाय बढऩे लगी है। इमरजेंसी के मुख्य प्रवेश द्वार से पांच कदम पर ही प्रतिबंधित सुरक्षा घेरे में दर्जनों वाहनों का अवैध पड़ाव होता है। गायनी विभाग के समीप, मरीज को आपरेशन थियेटर तक ले जाने वाले रैंप पर, दवा वितरण केंद्र के समीप, अन्य विभागों के प्रवेश द्वार पर, सेंटर आफ एक्सीलेंस स्थित सेंट्रल पैथोलाजी के गेट और भवन के अंदर, ऊपरी मंजिल पर जाने वाली सीढिय़ों के सटे दोपहिया वाहनों का अवैध और खतरनाक पड़ाव बन चुका है।

खूफिया कैमरों व सुरक्षा कर्मियों के बावजूद सभी असुरक्षित

डाक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, स्वजनों का कहना है कि अस्पताल परिसर में वाहनों का वैध पड़ाव खतरनाक है। 175 निजी सुरक्षा कर्मी और दर्जनों खुफिया कमरे लगे होने के बावजूद वाहन आसानी से चोरी हो जाते हैं। असुरक्षा के भय से वाहनों को अस्पताल के अंदर सुरक्षित जगहों पर रखने की विवशता है।