-2015 में ही आईसीएमआईआर ने आरटीपीसीआर मशीन के लिए दिया था फंड

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PATNA : बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में कोरोना जांच की रफ्तार सुस्त है। इससे सरकारी व्यवस्था के खोखलेपन को समझा जा सकता है। यहां रोज लगभग 600 जांच किए जा रहे हैं जबकि लक्ष्य 1000 जांच करने का था। यह विडंबना ही है कि कोरोना महामारी के आउटब्रेक से काफी पहले ही जब स्वाइन फ्लू आया था तब आईसीएमआईआर (भारत सरकार) ने आरटी पीसीआर की ऑटोमेटिक जांच मशीन खरीदने के लिए वर्ष 2015 में ही 25 लाख रुपए आवंटित कर दिए थे। लेकिन मशीन की खरीदारी नहीं की गई। जब कोरोना का आउटब्रेक बढ़ने लगा तब पीएमसीएच में भी कोरोना जांच किए जाने का निर्णय लिया गया। आनन-फानन में आईसीएमआर की ओर से मशीन खरीद कर पीएमसीएच के वायरोलॉजी लैब को सौंपा गया तब यहां जांच शुरू की गई।

पीएमसीएच में जांच की स्थिति

पीएमसीएच में फिलहाल आरटीपीसीआर की तीन मशीनें लगी हैं इसमें दो मशीन आईसीएमआईआर ने दी है। जबकि अक्टूबर 2020 के अंतिम हफ्ते में बिहार सरकार ने एक मशीन उपलब्ध कराई है। इस प्रकार यहां तीन मशीनें है लेकिन प्रतिदिन सैंपल जांच की संख्या में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं हो रही है। लगभग 500 से 600 सैंपल की जांच ही हो पा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरएनए एक्सट्रैक्शन मशीन यहां केवल एक है जिसकी क्षमता एक बार में 96 सैंपल की जांच करने की है। एक बार में यह मशीन 24 सैंपल एक्सट्रैक्शन के लिए लेती है और 4 बार में यह 96 सैंपल की जांच कर सकती है। इसका रिजल्ट प्राप्त करने में 3 घंटे का समय लगता है और दिनभर में लगभग 500 जांच हो पाती है। यह संख्या एम्स में प्रतिदिन की जांच का 50 परसेंट, आईजीआईएमएस की जांच का लगभग 25 परसेंट और आरएमआरआई में होने वाले जांच से लगभग 6 गुना कम है। जबकि रिपोर्ट तैयार करने में सुबह से रात हो

जाती है।

मशीन का इंस्टॉलेशन नहीं

जहां 5 साल पहले पीएमसीएच प्रशासन ने आरटीपीसीआर जांच के लिए मशीन की खरीद फंड मिलने पर भी नहीं की तो वही हाल ही में बीएमएसआईसीएल द्वारा मशीन उपलब्ध कराने पर भी इसका इंस्टॉलेशन नहीं कराया गया। पीएमसीएच सूत्रों ने बताया कि 30 सितंबर 2020 तक यह मशीन पीएमसीएच कैंपस में इंस्टॉल किया जाना था लेकिन इस बड़े मशीन को इंस्टॉल करने के लिए कोई इन इनीशिएटिव नहीं लिया गया नतीजतन यह इंस्टॉल नहीं हो सका। यदि यह मशीन लग जाती तो वर्तमान कुल जांच की संख्या में काफी वृद्धि हो जाती। मशीन को लगाने के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल के मुताबिक बड़े कमरे तैयार किए जाते हैं जिसमें एक्सट्रैक्शन रूम और प्री एक्सट्रैक्शन रूम की सुविधा होती।

एक मशीन से कई जांच

वर्ष 2015 के दौरान प्रदेश में स्वाइन फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे थे तब तत्काल जांच की व्यवस्था के लिए मशीन खरीदने के लिए आईसीएमआर ने फंड उपलब्ध कराया। जानकारी हो कि आरटीपीसीआर मशीन से कोरोना समेत वायरोलॉजी के कई प्रकार के जांच जैसे हेपेटाइटिस, स्वाइन फ्लू आदि की जांच की जाती है। यही वजह है कि 2015 में ही यह मशीन खरीदने के लिए आईसीएमआईआर ने फंड उपलब्ध कराया था।

बिहार सरकार से कोरोना जांच के लिए ऑटोमेटिक मशीन की मांग की गई थी। लेकिन यह मशीन अब तक उपलब्ध नहीं हुई है यही वजह है कि यहां जांच सैंपल की संख्या नहीं बढ़ी है। यह कब तक उपलब्ध होगी इस बारे में भी जानकारी नहीं है।

-डॉ विद्यापति चौधरी, प्रिंसिपल पटना मेडिकल कॉलेज