PATNA (9 July):

500 घर, 3500 लोग, एक गंदा कुआं और 6 बंद चापाकल। यह कहानी है एक ऐसी राजधानी की जिसे देश ही नहीं पूरे विश्व में चाणक्य की धरती बिहार के नाम से जाना जाता है। इस राजधानी में एक मोहल्ला है जंगली पीर। यहां बूंद-बूंद पानी के लिए जंग छिड़ी है।

चलिए आज आपको इस वार्ड में ले चलते। सुबह 7 बजे का समय है। लोग घरों से मटके और बाल्टी लेकर दौड़ लगा रहे हैं। इस दौड़ में छोटे-बड़े, आदमी-औरत सभी एक समान स्पीड में है। अरे ओ चंदा, दौड़तू आज पीछे ही रह जइवे। ना ही काकी, आज तो हम ही आगे लगवे। देखते ही देखते एक लंबी सी लाइन लग जाती है। यह लाइन राशन या किसी टिकट के लिए नहीं है। यहां जल के लिए जंग छिड़ी हुई है। एक गंदे कुएं से पानी लूटने की होड़ मची है। इस होड़ में जो पीछे रह जाएगा उसके घर में आज फिर बवाल होगा। उसके घर में फिर बूंद-बूंद को इकट्ठा कर खाना पकाया जाएगा। आंसुओं के पानी से चेहरा पोछना होगा। मोहल्ले के लोगों का कहना है कि कहा जा रहा है पानी के लिए तीसरा विश्व युद्घ होगा, यहां तो आज से ही साहब युद्घ शुरू हो चुका है। पानी की बूंद-बूंद के लिए लोग तरस रहे हैं। लंबी धक्का मुक्की के बाद जो पानी मिलता है वह भी पीने लायक नहीं होता।

मजबूरी है कुआं का पानी पीना

इस मोहल्ले में केवल एक ही कुआं है। बारिश न होने के कारण इसमें भी पानी अधिक नहीं रहता। जो है, वह इतना गंदा है कि आप पीने से मना कर देंगे। लेकिन इस मोहल्ले के लोगों के लिए यही अमृत जल है। उनकी मजबूरी है कि वे इसी गंदे कुएं का पानी पिएं। क्योंकि सरकार ने जो 6 चपाकल लगाए थे वे सभी खराब हो चुके हैं। ऐसे में सवाल यह है कि राजधानी में जब यह हाल है तो गांव के बंद चापाकल कितनों को प्यासे मार रहे होंगे।

इसकी जानकारी नगर निगम को दी जाएगी और समस्या का जल्द निराकरण करने को कहा जाएगा।

चैतन्य प्रसाद, प्रधान सचिव, नगर विकास एवं आवास विभाग

वार्ड 22 ए में पहले से जलापूर्ति की सारी व्यवस्था पीएचई की है। यह नया वार्ड है। हम सारी सुविधाएं धीरे-धीरे समानुपात में बढ़ा रहे हैं।

सीता साहू, मेयर, नगर निगम