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PATNA : हाल ही में पानी को लेकर नीति आयोग की जारी रिपोर्ट ने पूरे देश को चौंका दिया। आयोग ने समग्र जल प्रबंधन सूचकांक रिपोर्ट में बताया कि देश की आधी आबादी किसी न किसी तरह से पानी की समस्या से जूझ रही है। रिपोर्ट में बिहार को 38 अंक दिया गया है जो बताता है कि जल प्रबंधन के मामले में प्रदेश की हालत बहुत ज्यादा खराब है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब रिपोर्ट के आधार पर पड़ताल की चौंकाने वाला खुलासा हुआ। बिहार में पिछले 10 साल में तालाब और कुओं की संख्या आधे से भी कम हो गई है। यह स्थिति दिनोंदिन बदतर होती जा रही है।
गंगा में खुद का पानी 16 फीसदी
एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा में खुद का सिर्फ 16 फीसदी पानी ही बचा है। शेष पानी गंदे नालों का है जो गंगा को मैली कर रहा है।
इन तालाबों की स्थिति दयनीय
कच्ची तालाब - अतिक्रमण जारी
नगला - मंदिर और घर निर्माण
मानिकचंद तालाब -गंदगी का ढेर
हीरानंदपुर - जीर्णोद्वार जरूरी
महमदपुर - जीर्णोद्वार की जरूरत
अदालतगंज - लोकसेवकों का क?जा
कैसे होगा जल प्रबंधन
1. पटना में कभी 1005 तालाब हुआ करते थे लेकिन वर्तमान में आधे से च्यज्दा तालाब गायब हो चुके हैं जो कि चिंता का विषय है। वहीं कई तालाबों को पाटकर बड़ी-बड़ी इमारते बना दी है। अगर इन तालाबों को संजोकर रखा जाता तो आज पटना जलसंकट के सबसे बुरे दौर से नहीं गुजर रहा होता।
2.वर्षा जल को संजोने में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बहुत जरूरी है। नियम है कि जो भी सरकारी भवन या फिर आवास बनाए जाए तो उसमें रेन वाटर सिस्टम का लगा होना अनिवार्य है लेकिन कलेक्ट्रेट भवन को छोड़ दे तो कहीं भी यह सिस्टम नहीं लगा है।