पटना ब्‍यूरो । यदि प्रारंभिक चिकित्सा के बाद भी लैट्रिन में रेगुलर खून आ रहा हो, कभी -कभी मांस का टुकड़ा भी आ जाता है और साथ में वजन घट रहा हो तो बड़ी आंत का कैंसर हो सकता है। ऐसे में अच्छे डॉक्टर से चेकअप कराना जरूरी होता है। बावासीर मानकर इसे नजरअंदाज करना बिल्कुल घातक हो सकता है। यह कहना था कैंसर सर्जन डॉ हेमेंद्र कुमार मोदी का।

मंगलवार को धनुकी मोड़ स्थित एशिया हॉस्पिटल में एक कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ। हेमेंद्र ने बड़ी आंत के कैंसर को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें लोगों को बताई। गौरतलब है कि कोलोरेक्टल कैंसर या बड़ी आंत का कैंसर जागरूकता कार्यक्रम हॉस्पिटल परिसर में आयोजित किया गया था।

डॉ। हेमेंद्र मोदी ने बताया कि बड़ी आंत के कैंसर में दर्द तबतक नहीं होता जब तक मलाशय से कोई घाव बाहर ना आ जाए या आंत में कोई रूकावट पैदा न हो जाए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार भारत में एक लाख लोगों में 15.2 प्रतिशत लोग बड़ी आंत के कैंसर से पीडि़त होते हैं जबकि विश्व में यह आंकड़ा 19.5 प्रतिशत है। इसी तरह भारत में बड़ी आंत का कैंसर सभी कैंसर में आठवें स्थान पर है जबकि विश्व में सातवें स्थान पर।

इस कैंसर के कारणों पर चर्चा करते हुए डॉ। मोदी ने कहा कि अत्यधिक मसालेदार और लाल मिर्च का प्रयोग खतरनाक पाया गया है। यह आंत के सतह को नुकसान पहुंचाता है तो कैंसर में तब्दील हो जाता है। इसलिए भोजन अच्छा रखें। 40-45 वर्ष की उम्र के बाद स्क्रीनिंग कराएं और यदि लैट्रिन के साथ खून आए तो अच्छे डॉक्टर से दिखाएं।

डॉ। हेमेंद्र मोदी ने कहा कि बड़ी आंत के कैंसर का इलाज वैसे काफी आगे बढ़ गया है। अब स्टेज चार के मरीज में भी इलाज के बाद काफी साकारात्मक बदलाव देखे जा रहे हैं। डॉक्टर केस के आधार पर इलाज का तरीका या क्रम अपनाते हैं। मसलन; कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी। मुख्यमंत्री राहत कोष से कैंसर जैसे गंभीर बीमारी का इलाज आसान हो गया है। सरकार से मरीजों को काफी मदद मिल जाती है।