पटना ब्‍यूरो। बिहार सरकार के अच्छे अस्पतालों में गिने जाने वाले गर्दनीबाग अस्पताल में कभी स्वस्थ्य होकर लोग निकलते थे। लेकिन अब आलम यह है कि इस अस्पताल की स्थिति खुद बीमार जैसी है। और इसके स्वस्थ्य होने के लिए अस्पताल प्रशासन को कई इंफ्रास्ट्रक्चर की दवाइयां देनी पड़ेगी। हाल कुछ ऐसा है कि यहां अल्ट्रासाउंड रूम तो है लेकिन अल्ट्रासाउंड मशीन गायब है। पैथोलॉजी विभाग तो है लेकिन उसके नाम सिर्फ दो से तीन जांच की औपचारिकता पूरी की जाती है। जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया तो कई कमियां सामने आई, आज पढि़ए ये रिपोर्ट

छह साल से बंद है अल्ट्रासाउंड सेवा
गर्दनीबाद अस्पताल में सर्दी-जुकाम से लेकर चर्म रोग और डिलिवरी समेत अन्य बीमारियों के पांच से छह पेशेंट प्रति दिन ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं। इजाज के दौरान कई पेशेंट को डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड की सलाह दी जाती है। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड रूम है लेकिन पिछले छह साल से अल्ट्रासाउंड मशीन खराब है। जिसे ठीक कराने के लिए अस्पताल प्रशासन अलर्ट नहीं है। पेशेंट जब अल्ट्रासाउंड रूम के पास पहुंचते हैं तो वहां पता चलता कि अल्ट्रासाउंड सेवा बंद है।

पैथोलॉजी जांच के नाम पर औपचारिकता पूरी
अस्पताल में बने पैथोलॉजी विभाग में जांच के नाम पर औपचारिकता पूरी की जाती है। प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर द्वारा कई प्रकार की जांच कराने की सलाह दी जाती है। अस्पताल के पैथोलॉजी में पहुंचने के बाद पता चलता है कि यहां सिर्फ बीपी, ब्लड शुगर की जांच होती है। ऐसे में पेशेंट प्राइवेट पैथोलॉजी से जांच कराने को मजबूर है। ओपीडी में दिखाने के लिए आई विनिता ने बताया कि बहन को डॉक्टर से दिखाने के बाद 9 तरह की जांच कराने के लिए बताया गया है लेकिन यहां सिर्फ एक तरह की जांच ही हो सकी है।

पीने के पानी की व्यवस्था भी नहीं
एक तरफ बिहार सरकार की ओर से पटना में जगह-जगह प्याऊ की व्यवस्था की गई है। अस्पतालों में आरओ मशीन लगाई गई हैं ताकि पेशेंट और उनके परिजनों को पानी पीने के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े, लेकिन गर्दनीबाग अस्पताल में आरओ मशीन तो है लेकिन उसमें पीने के पानी नहीं आता है। ये हाल कोई आज का नहीं है। नाम नहीं छापने की शर्त पर स्टाफ ने बताया कि पिछले तीन वर्ष से आरओ मशीन खराब है। जिसे आज तक ठीक नहीं करायी गयी है। अस्पताल परिसर में कहीं भी पीने के लिए पानी की व्यवस्था अस्पताल प्रशासन की ओर से नहीं की गई है। जिस वजह से बोतल बंद पानी खरीदकर लोग पीने को मजबूर हैं।

चर्मरोग के ओपीडी नहीं दिखे डॉक्टर
मंगलवार दोपहर 12.40 बजे दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब गर्दनीबाग के चर्मरोग विभाग के ओपीडी पहंची। तो नजारा देखने लायक था। डॉक्टर के चेम्बर में पंखा चल रहा था लेकिन डॉक्टर साहब नहीं थे। अस्पताल के अन्य डॉक्टरों से पूछने पर पता चला कि सोमवार और गुरुवार को ही पीएमसीएच से प्रतिनियुक्त डॉक्टर बैठते हैं। इस दौरान इलाज के लिए आने वाले पेशेंट बिना इलाज के ही लौट रहे थे।

गंदे बेडशीट पर पेशेंट का इलाज
इसके बाद हमारी टीम हीट वेव के पेशेंट के लिए बने वार्ड में पहुंची। वहां हीट वेव पीडि़त चार पेशेंट मिले। वार्ड के कई बेड टूटे पड़े थे। बेडशीट की हालत ऐसी थी कि जैसे कई मंथ से सफाई नहीं हुई है। खाली बेडों पर यूज किए गए निडिल और दवा की रैपर फैले हुए थे। दूसरी तरफ हीट वेव के पेशेंट का इलाज चल रहा था।


अस्पताल में कई सालों से अल्ट्रासाउंड सेवा बंद है। पेशेंट बाहर से ही अल्ट्रासाउंड कराते हैं रही पैथोलॉजी की तो कुछ यहां जांच होती है। जो जांच नहीं हो पाती है वो बाहर से पेशेंट कराते हैं।
-डॉ। प्रतिभा कुमारी, अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं बिहार, सह उपाधीक्षक गर्दनीबाग अस्पताल, पटना