- कभी पटना में ही था बड़ा अड्डा, अब जहानाबाद में बना लिया आशियाना

- मानवीय हस्तक्षेप बढ़ने से दानापुर एरिया में कम हुई एशियन ओपन बिल की संख्या

PATNA : एशियन बिल स्टार्क जिसे यहां आम बोलचाल में 'घोंघिल' के नाम से जाना जाता है। अब पटना से आगे बढ़कर जहानाबाद में अपना बसेरा बना चुके है। आम तौर पर यह पक्षी पटना के दानापुर कैंट एरिया में बहुतायत से पाया जाता था। यह अभी भी है, लेकिन यहां से इसकी एक बड़ी आबादी जहानाबाद की ओर जा चुकी है। इसका बड़ा कारण पटना में ग्रीन बेल्ट का लगातार कम होना, बेतहाशा मानवीय आबादी का बढ़ना और उनकी गतिविधियां हैं। इस बात की पुष्टि बिहार में इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क के स्टेट को-ऑर्डिनेटर एवं पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने की।

उन्होंने बताया कि जहां बहुतायत ये इन पक्षियों को भोजन और पानी मिलता है, वहां यह अधिक स्थायित्व के साथ रहते हैं। इसका साफ अर्थ है कि पटना में इनके रहने का प्राकृतिक आवास क्षेत्र कम हुआ है। दानापुर कैंट एरिया में ग्रीन बेल्ट का घटना है।

नौ प्रजातियां मिलती हैं

एशियन ओपन बिल स्टार्क की आठ प्रजातियां हैं। इस बारे में अरविंद मिश्रा ने बताया कि इनमें से दो प्रवासी पक्षी हैं, जो कि एशियाई देशों से आते हैं। बाकी छह प्रजातियां यहां पाई जाती है। इसमें जांघिल, छोटा गरुड़, बड़ा गरुड़, लौह सारस और अन्य शामिल हैं। सभी छह यहां ही रहती हैं और मई से सितंबर माह तक इनका प्रजनन काल होता है। अभी जून में प्रजनन काल है इसलिए यह समूह में ज्यादा दिखाई देते हैं।

दूर से ही पहचान में आते हैं

एशियन ओपन बिल स्टार्क दूर से ही पहचान में आते है। ये आगे से सफेद रंग के और पीछे के पूंछ वाले हिस्से में काला रंग का होता है। यह मुख्य रूप से वेटलैंड एरिया, खेत-खलिहान और गंगा के समीपवर्ती इलाकों में पाया जाता है। मुख्य रूप से यह घोंघा और कीडे़-मकोड़े भी खाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा साउथ इस्ट एशिया के देशों में भी पाया जाता है।

धनुषाकार होता है चोंच

ओपन बिल स्टार्क की खासियत यह है कि यह घोंघा खाने के लिए बहुत उपयुक्त होते हैं। क्योंकि इनकी चोंच का आगे का हिस्सा बिल्कुल सीधा और जोड़ी की दूसरी चोंच धनुषाकार होती है। इस वजह से यह घोंघा के मुलायम हिस्से को खाकर इसका इसका उपरी आवरण बाहर गिरा देता है। इसकी कुछ अन्य प्रजातियों में भी ऐसी चोंच पाई जाती है। हालांकि जन्मजात ऐसा चोंच नहीं दिखता है। लेकिन व्यस्क होते ही इनकी चोंच इस प्रकार की बनावट वाली हो जाती है। इसलिए इनके नाम में ओपन बिल शब्द जोड़ा गया है।

गांधी मैदान के आस-पास भी

दरअसल गंगा के किनारे के हिस्सों में एशियन ओपन बिल भोजन की तलाश में निकलते हैं। इन दिनों ये एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट, गांधी मैदान के पास डीएम आवास के पास के पेड़ों पर समूह में दिखते हैं। इसके अलावा दीघा और दानापुर के कुछ हिस्सों में भी पाए जाते हैं। कभी इन इलाकों में बहुतायत में पाए जाने वाले ये पक्षी अब जहानाबाद की ओर रूख करने लगे हैं। इसको लेकर पर्यावरण प्रेमी काफी चिंतित हैं और ग्रीन बेल्ट बढ़ाने के लिए सरकारी सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं।