पटना (ब्यूरो)। बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि मैं एक सौ वर्ष से अधिक समय तक इस शरीर को धारण कर तिब्बती परंपरा का निर्वहन करुंगा। आप सभी को निङ्क्षश्चत करता हूं कि तब तक सभी जीवधारियों के दुखों को दूर कर उनका हित करता रहूंगा। नववर्ष का यह पवित्र दिन है, इस दिन आप सभी लोग मेरी दीर्घ आयु के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। मुझे स्वप्न में आया था कि मैं 115 या 116 वर्ष तक जीवित रहूंगा। इस शरीर से त्रिपिटक का अध्ययन कर जानने की चेष्टा कर रहा हूं।

तिब्बती बौद्ध परंपरा, विश्व परंपरा

धर्मगुरु ने कहा कि तिब्बत में समस्याएं हैं। पूरे हिमालय क्षेत्र की धर्म और संस्कृति तिब्बत से मिलती जुलती हैं। मेरी सोच के बारे में विश्व के लोग जानते हैं। शून्यता और बोधिचित्त का अभ्यास करते रहें। इससे जीवन अच्छा रहेगा। तिब्बती बौद्ध परंपरा विश्व की परंपरा है, ऐसा मानें। इस तरह उन्होंने धर्म व संस्कृति के स्तर पर तिब्बत की श्रेष्ठता बताई।

चीन पहले बौद्ध राष्ट्र था

उन्होंने कहा कि बौद्ध दर्शन के प्रति पाश्चात्य देशों के लोगों में भी विश्वास बढ़ा है। आज पूरे विश्व में बौद्ध धर्म फैल रहा है। बौद्ध दर्शन और मनोविज्ञान को लोग सीख रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन पहले बौद्ध राष्ट्र था। बाद में चीन की सरकार नहीं मानी, लेकिन वहां के अधिकांश लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। मैं विश्वास रखता हूं कि तिब्बत से आए बौद्ध लामा व श्रद्धालु मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं, यह शुभ अवसर मेरे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। गेलुक, शाक्या, निगमा और अन्य पंथ के लोग यहां पर हमारी दीर्घायु के लिए प्रार्थना की है। उन्होंने श्रद्धालुओं को नववर्ष की शुभकामनाएं दी। कहा कि यह उत्सव का दिन है। नए उत्साह के साथ यह नववर्ष अच्छा रहेगा।